भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों के अनुसार हमारे देश में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक है वट सावित्री व्रत. शादीशुदा महिलाओं के लिए इस त्योहार का बहुत महत्व है. मान्यता है कि पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं. मगर यह व्रत वट वृक्ष के बिना अधूरा माना जाता है. इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा बेहद अहम है. अब सवाल ये है कि क्या आपको इसकी वजह पता है और क्या आपकी वट वृक्ष के बारे में जानते हैं? आगे पढ़िए इन सब सवालों के जवाब-
वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता है. कुछ जगहों पर यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भी रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत में वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है.
शास्त्रों में बताया गया है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. बरगद के पेड़ की जड़ में ब्रह्मा का वास होता है, तने में भगवान विष्णु का वास होता है और पेड़ की शाखाओं में महादेव यानि भगवान शिव का वास होता है. वहीं दूसरी ओर नीचे लटकी हुई शाखा मां सावित्री का प्रतीक है. इसी वजह से इस खास दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेवों की कृपा प्राप्त होती है और मां सावित्री की कृपा भी परिवार पर बनी रहती है. इस साल वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 को मनाया जाएगा. इसी दिन शनि जयंती भी है.
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अब जानते हैं कि बरगद के पेड़ के फायदे और उसका साइंटिफिक महत्व. आयुर्वेद के अनुसार बरगद का पेड़ एक बेहतरीन औषधि है और बरगद के पेड़ से आप कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं. ऐसे में डॉ मयंक ने बरगद के पेड़ के ऐसे कई फायदे बताए जिसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे. डॉ मयंक के मुताबिक सिर्फ बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद का फल, बरगद के बीज, बरगद का दूध (बरगद का दूध) भी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है. नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं. बरगद के पेड़ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला पेड़ है. यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है जो इसे काफी महत्वपूर्ण बनाता है.
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