पंजाब में धान की खेती पर बैन! SC के इस इशारे से क्या आधी आबादी को आधा पेट सोना पड़ेगा

पंजाब में धान की खेती पर बैन! SC के इस इशारे से क्या आधी आबादी को आधा पेट सोना पड़ेगा

सुप्रीम कोर्ट ने पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण और पंजाब में धान की रोपाई से ग‍िर रहे भूजल स्तर पर च‍िंता जताते पंजाब में धान की खेती का व‍िकल्प खोजने की बात कहीं है. ज‍िस पर कुछ हद तक पंजाब सरकार ने भी सहमत‍ि जताई है.

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पंजाब में धान की खेती पर बैन! SC के इस इशारे से क्या आधी आबादी को आधा पेट सोना पड़ेगा पंजाब में धान की खेती पर बैन लगने से क्या देश में खाद्य सुरक्षा सुन‍िश्चि‍त हो सकेगी- फोटो क‍िसान तक

छत्तीसगढ़ की चुनावी रैली में बीते द‍िनों पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की 80 करोड़ जनसंख्या को एक गारंटी दी है. पीएम मोदी ने 80 करोड़ आबादी को अगले 5 साल के ल‍िए फ्री अनाज देने का वायदा क‍िया है. मतलब, साफ है क‍ि केंद्र सरकार प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश की 80 करोड़ आबादी को अगले 5 साल तक राशन की दुकानों के जर‍िए फ्री गेहूं और चावल का व‍ितरण करेगी.

चुनावों के बीच पीएम मोदी के इस वायदे को लेकर व‍िपक्षी राजनीत‍िक दल हमलावर हैं, लेक‍िन इस बीच प्रदूषण से गैस चैंबर बनी द‍िल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब में धान की खेती बंद करने की तरफ इशारा क‍िया है. सुप्रीम कोर्ट ने पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण और पंजाब में धान की रोपाई से ग‍िर रहे भूजल स्तर पर च‍िंता जताते पंजाब में धान की खेती का व‍िकल्प खोजने की बात कहीं है. ज‍िस पर कुछ हद तक पंजाब सरकार ने भी सहमत‍ि जताई है. 

अब, ये समझने की कोश‍िश करते हैं क‍ि क्या सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई के बाद पंजाब में धान की खेती पर बैन लगा द‍िया जाएगा. ऐसे में क्या देश में चावल का संकट गहरा सकता है. मतलब, ऐसा क्यों समझा जा रहा है क‍ि अगर पंजाब में धान की खेती पर बैन लग जाएगा तो बड़ी आबादी की खुराक से चावल बाहर हो जाएगा. मतलब आधी आबादी आधे पेट सोने को मजबूर हो जाएगी. और अगर पंजाब में धान की खेती पर बैन नहीं लगता है तो पराली का धुआं ऐसे ही परेशान करेगा या गि‍रता भूजल स्तर पंजाब को रेग‍िस्तान बना देगा.

पहले जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब के अंदर पराली में लगाई जा रही आग और राज्य में ग‍िरते भूजल स्तर पर च‍िंता जताते हुए केंद्र सरकार से पंजाब में धान का व‍िकल्प खोजने पर गंभीरता से व‍िचार करने को कहा है. मीड‍िया र‍िपोर्ट्स के अनुसार कोर्ट ने धान की जगह मोटे अनाजों की खेती करने पर व‍िचार करने का सुझाव द‍िया है. जस्ट‍िस संजय क‍िशन कौल और सुधांशु धुल‍िया की बेंच ने तल्ख ट‍िप्पणी करते हुए कहा है क‍ि धान की वजह से अन्न भंडार से भरा हुआ पंजाब रेग‍िस्तान नहीं बनना चाह‍िए. 

मीड‍िया र‍िपोर्ट्स के अनुसार बेंच ने कहा क‍ि धान की खेती के चलते पंजाब का भूजल स्तर नीचे जा रहा है. बढ़ी संख्या में नलकूप और कुएं सूख रहे हैं, जबक‍ि ये हालात तब हैं, जब धान यानी चावल की खपत पंजाब में नहीं होती है. ऐसे में पंजाब से धान को चरण बद्ध तरीके से खत्म करने की जरूरत है. इसके लि‍ए जरूरत है क‍ि केंद्र सरकार दूसरी वैकल्प‍िक फसलों को MSP दें. 

बेंच ने पूछा क्या बंद कर दें धान पर MSP 

मीड‍िया र‍िपोर्ट्स सुनवाई के दौरान बेंच ने समाधान के ल‍िए धान पर म‍िल रही MSP को बंद की संभावनाओं पर चर्चा की. इस दौरान बेंच ने पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरव‍िंंदर स‍िंह से पूछा क‍ि अगर धान पर म‍िल रही MSP को अगर बंद कर द‍िया जाए तो क्या ये संभव है. इस पर स‍िंह ने सहमत‍ि जताते हुए कहा क‍ि इस फैसले से क‍िसान धान की खेती छोड़कर दूसरी अन्य फसलों को उगाना शुरू कर देंगे. बेंच के सामने पंजाब के एडवोकेट जनरल स‍िंह ने कहा क‍ि पंजाब में 31 लाख एकड़ में धान की खेती होती है, जबक‍ि धान पंजाब की फसल नहीं है. उन्होंने कहा क‍ि धान की खरीदी केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत पीडीए यानी राशन के दुकानों पर व‍ितरण के ल‍िए करती है. इसके ल‍िए क‍िसानों को इंसेट‍िव द‍िया जाता है, जो उनके ल‍िए फायदे का सौदा होता है, लेक‍िन इससे पंजाब का भूजल स्तर 700 से 1000 फ‍ीट तक नीचे चला गया है. 

अब सवाल ये ही क‍ि पंजाब सरकार और सुप्रीम कोर्ट राज्य में धान की खेती पर रोक लगाने के ल‍िए सहमत हैं तो अब पंजाब में धान की खेती पर बैन लग जाएगा. तो क्या इन हालातों में पीडीएस में बांटे जा रहे अनाज से चावल बाहर हो जाएगा और क्या देश की आधी आबादी को आधा पेट ही भाेजन नसीब होगा. क्योंक‍ि कहा जाता है क‍ि चावल से जल्दी पेट भरता है.   

पंजाब, धान और पीडीएस में बांटे जा रहे चावलों का कनेक्शन 

पंजाब में धान पर बैन लगने से देश की आधी आबादी क‍ी थाली से चावल गायब हो सकता है. इसे समझने के ल‍िए धान, पंजाब और पीडीएस में बांटे जा रहे चावलों के कनेक्शन को समझना होगा. देश में धान उत्पादक टाॅप 5 राज्यों की सूची में पश्च‍िम बंगाल सबसे अव्वल है. तो वहीं इस सूची में पंजाब चौथे स्थान पर है, लेक‍िन पीडीएस के ल‍िए एफसीआई की तरफ से केंद्रीय पूल में खरीदे जाने वाले चावल में पंजाब पहले स्थान पर है.

पीडीएस के ल‍िए चावल खरीदने में पंजाब सबसे अव्वल- GFX Sandeep Bhardwaj
पीडीएस के ल‍िए चावल खरीदने में पंजाब सबसे अव्वल - GFX Sandeep Bhardwaj

केंद्रीय पूल के ल‍िए चावल खरीदी के प‍िछले 10 साल के आंकड़ों को देखा जाए तो पंजाब देश के सभी राज्यों की सूची में सबसे अव्वल है. साल 2022-23 में केंद्रीय पूल के ल‍िए तकरीबन 570 लाख मीट्र‍िक टन चावल खरीदा गया था, ज‍िसमें से अकेले 122 लाख मीट्र‍िक टन पंजाब से खरीदा गया था, जो कुल खरीदा का तकरीबन 20 फीसदी है, जबक‍ि दूसरे स्थान पर तेलंगना है, जहां से तकरीबन 88 लाख मीट्र‍िक टन चावल खरीदा गया था. जब‍क‍ि सबसे अध‍िक चावल का उत्पादन करने वाले बंगाल से स‍िर्फ 21 लाख मीट्र‍िक टन चावल की खरीदी केंद्रीय पूल यानी पीडीएस के लि‍ए हो सकी थी. 

ये आंकड़ें बताने के ल‍िए काफी हैं क‍ि अगर पंजाब में धान की खेती पर बैन लगा द‍िया जाए तो देश की बड़ी आबादी की थाली से चावल गायब हो जाएगा. 

पंजाब में धान पर बैन का मतलब दुन‍िया देशों में चावल पर संकट 

 पंजाब में धान पर बैन से देश पर भी असर नहीं पड़ेगा. पंजाब में धान पर बैन से दुन‍िया के कई देशों में चावल संकट गहरा सकता है. इस समझने के ल‍िए हमें बीते द‍िनों की यात्रा पर जाना होगा. अगस्त में सरकार ने गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा द‍िया था. ज‍िसके बाद बचे हुए स्टाक काे लेने के ल‍िए अमेर‍िका के कई सुपरमार्केट में भीड़ जुट गई थी. हालांक‍ि पंजाब में बड़ी संख्या में बासमती चावल की खेती होती है, लेक‍िन ये भी सच है क‍ि दुन‍िया के कई देशों में भारतीय बासमती की बादशाहत है. पंजाब के इस सुंगध‍ित चावल के ब‍िना दुनि‍या के कई लोगों की थाली अधूरी है.

क्या मोटा अनाज, चावल का व‍िकल्प बन सकता है 

पंजाब में धान की खेती पर बैन की संभावनाओं पर राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चर यून‍िवर्स‍िटी के पूर्व वीसी डॉ रमेश श्रीवास्तव कहते हैं क‍ि धान की खेती व‍िकल्प खोजने के प्रयास पूर्व में भी हो चुके हैं, लेक‍िन वह सफल नहीं हा सके. धान की खेती क‍िसानों की आजीव‍िका से जुड़ी है. साथ ही मोटे अनाजों के चावल के व‍िकल्प बनने के सवाल पर वह कहते हैं क‍ि चावल की तुलना में मोटे अनाजों का उत्पादन 50 फीसदी से भी कम है. खाद्य सुरक्षा सुन‍िश्च‍ित करने के ल‍िए मोटे अनाजों की उत्पादन क्षमता एक एकड़ में दोगुनी से अध‍िक करनी होगी, जो फि‍लहाल एक चुनौती है. वहीं वह कहते हैं आम जन की फूड हैब‍िट में मोटे अनाज को शाम‍िल करना भी एक चुनौती है. क्योंकि‍ चावल की तुलना में मोटे अनाजों काे बनाना और खाना बेहद ही मुश्क‍िल है.

 

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