हरियाणा सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए राज्य के सभी जिलों में बनी हुई सहकारी समितियों में अनियमितताओं की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने का फैसला किया है. यह टास्क फोर्स एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के तहत काम करेगी. टास्क फोर्स वर्ष 1992 से लेकर आज तक बनी सहकारी समितियों में अनियमितताओं की जांच करेगी. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सीएम मनोहर लाल ने कहा कि इन समितियों को अभी तक 328 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिसमें से 259 करोड़ रुपये का उपयोग दिखाया गया है, शेष पैसा बैंकों में ही पड़ा है.
सीएम ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने समितियों का ऑडिट करवाया था और ऑडिट में जब कमियां पाई गईं तो खुद संज्ञान लेकर यह मामला जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंप दिया. एसीबी ने इस मामले में 9 एफआईआर दर्ज की हैं और 4 जिलों में समितियों की जांच में 8.80 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई है. संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
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मुख्यमंत्री ने बताया कि पैसे की रिकवरी के लिए कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रापॅर्टी भी अटैच की गई है. अनु कौशिश, एआरसीएस (Assistant Registrar of Cooperative Societies), का मोहाली में एक घर, एक फ्लैट, 29 कनाल 5 मरला भूमि और बैंक अकाउंट को अटैच किया गया है. इसी प्रकार पूर्व आरसीएस राम कुमार का कुरुक्षेत्र में आवासीय प्लॉट और बैंक अकाउंट, योगेंद्र अग्रवाल का मोहाली में फ्लैट और बैंक अकाउंट, सुमित अग्रवाल और उनकी पत्नी का बैंक अकाउंट व फ्लैट, नितिन शर्मा का जीरकपुर में फ्लैट व बैंक अकाउंट को अटैच किया गया है. उन्होंने कहा कि जो अधिकारी अभी सस्पेंड किए गए हैं यदि वे जांच में दोषी पाए गए तो उन्हें भी बर्खास्त किया जाएगा.
सहकारिता विभाग ने 2018 में रेवाड़ी, करनाल, पानीपत, कैथल व अंबाला में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) के तहत निर्माण कार्य शुरू कराए थे. इसके तहत सहकारी समितियों की सहायता और सुविधा के लिए भवन, फर्नीचर और गोदाम का निर्माण होना था. इसके लिए नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनसीडीसी) और हरियाणा सरकार की ओर से 50-50 फीसदी राशि दी गई थी. आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत कर काम किए बिना ही फर्जी बिलों से भुगतान ले लिया. खास बात ये है कि विभाग के ऑडिटर तक इस भ्रष्टाचार में शामिल थे.उन्हें भी निशाने पर लिया गया है. साल 2021 में एक शिकायत के बाद एसीबी ने जांच शुरू की थी. बताया गया है कि इस मामले में 10 अधिकारियों समेत 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
उधर, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि राज्य में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के प्रथम चरण की 17 परियोजनाओं में से 14 आईसीडीपी परियोजनाओं का ऑडिट का कार्य पूर्ण हो चुका है. दूसरे चरण की प्रथम भाग की दो परियोजनाओं का ऑडिट कार्य भी पूर्ण हो चुका है. शेष पांच परियोजनाओं की अंतिम ऑडिट रिपोर्ट जारी कर दी गई है जबकि भाग 2 की परियोजनाओं का ऑडिट कार्य प्रगति पर है. बजट सत्र के अंतिम दिन ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2000 के बाद स्वीकृत सभी आईसीडीपी परियोजनाओं की फॉरेंसिक और तीसरे पक्ष से वित्तीय ऑडिट करवाने का भी निर्णय लिया है.
सरकार के निर्देशानुसार 17 नवंबर, 2022 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो हरियाणा द्वारा इन आईसीडीपी परियोजनाओं की जांच शुरू की गई और मई व जुलाई 2023 में 4 एफआईआर दर्ज की गईं. यही नहीं सरकार ने 11 जुलाई, 2023 को कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत और गुरुग्राम सहित 6 जिलों में चल रही परियोजनाओं के बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए हिदायत जारी कर केवल वेतन और कार्यालय खर्च के अलावा आईसीडीपी के किसी भी फंड का उपयोग न करने को कहा था.
सहकारिता मंत्री ने कहा कि जनवरी-फरवरी 2024 में भी 9 एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं. सरकार ने वरिष्ठ लेखाकार सुमित अग्रवाल तथा सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिश, उप लेखा परीक्षक योगेंद्र अग्रवाल और सहायक रजिस्ट्रार रामकुमार को बर्खास्त कर दिया था. प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज में नामजद अधिकारियों में शामिल सहायक रजिस्ट्रार कृष्ण चंद्र बेनीवाल, जितेंद्र कौशिक, केंद्रीय सहकारी बैंक के महाप्रबंधक संजय हुड्डा, लेखा परीक्षा अधिकारी बलविंदर सिंह, सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार रोहित गुप्ता, हरको बैंक के प्रबंधक विजय सिंह, सहायक रजिस्ट्रार संदीप खटकड़ और नरेंद्र कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है.
सहकारिता मंत्री बनवारी लाल ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की तफ्तीश में पाया गया है कि आईसीडीपी के अधिकतर कार्य स्टालिन जीत सिंह की कंपनियों व फॉर्म को अलॉट किए गए. यह लगातार 20 वर्षों से सहकारी का विभाग में कार्य कर रही थी. ऑडिट विंग के लेखा परीक्षक विनोद कुमार, ईश्वर सिंह, वरिष्ठ लेखा परीक्षक ईश्वर सिंह और नीलम ढींगरा को ऑडिट करने में लापरवाही के कारण 17 फरवरी, 2024 को निलंबित कर दिया गया.
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