बीज विधेयक 2025भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने खेती-किसानी को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 'बीज विधेयक, 2025' का मसौदा जारी किया है. यह नया प्रस्तावित कानून करीब छह दशक पुराने बीज अधिनियम, 1966 और बीज नियंत्रण) आदेश,1983 की जगह लेगा, जिसमें बीज के किस्मों के लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है और उल्लंघन करने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है. सरकार द्वारा इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की गारंटी देना, बाजार में बिक रहे नकली या खराब बीजों पर लगाम लगाना और बीज उद्योग के नियमों को आज की जरूरतों के हिसाब से सरल बनाना है. आइए जानते हैं क्या है ये बीज कानून और क्या है इसके उद्देश्य.
मौजूदा कानून केवल अधिसूचित बीजों (सरकार द्वारा सार्वजनिक खेती के लिए 'अधिसूचित' नई किस्मों) को नियंत्रित करता है. इसके अलावा, बीजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है. हरी खाद के बीज, व्यावसायिक फसलें और बागवानी फसलें इससे बाहर हैं. मौजूदा कानून के तहत दंड कम है, जिसमें छह महीने तक की जेल और 1,000 रुपये का जुर्माना शामिल है. इन सभी चीजों के कारण ये नया बीज कानून लाया गया है.
बाजार में नकली बीज की शिकायतें मिल रही हैं, जिन्हें कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बार-बार उठाया है. कांग्रेस सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला के एक प्रश्न के उत्तर में, 8 अगस्त को कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया था कि पिछले तीन वर्षों (2022-25) में 43,001 बीज नमूने "अमानक" पाए गए हैं. ऐसे बीजों में से 62 प्रतिशत (26,603) पश्चिम बंगाल से, उसके बाद तमिलनाडु (4,448) और मध्य प्रदेश (3,517) से हैं.
मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान, केंद्र और राज्य प्राधिकरणों ने संयुक्त रूप से कुल 5,27,814 उर्वरक नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से 28,303 नमूने अमानक पाए गए. इसी प्रकार 5,97,859 बीज नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 43,001 अमानक पाए गए हैं. रामनाथ ठाकुर ने बताया कि इसी अवधि में राज्यों ने 12,287 चेतावनियां जारी की, 12,915 बिक्री रोकने के आदेश जारी किए, 1,914 एफआईआर दर्ज किए.
कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में वार्षिक बीज की जरूरत 48.20 लाख टन अनुमानित है, जबकि उपलब्धता 53.15 लाख टन होगी. भारत का बीज बाजार लगभग 40,000 करोड़ रुपये का है. बता दें कि मई 2014 से अगस्त 2025 तक 3,053 किस्में जारी की गई हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत किस्में सार्वजनिक क्षेत्र से और 15 प्रतिशत किस्में निजी क्षेत्र से जारी की गई हैं.
बीज विधेयक 2025 में बीज किस्मों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन और “नकली” और गैर-रजिस्टर्ड बीजों की बिक्री जैसे बड़े अपराधों के लिए 30 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की कैद का प्रस्ताव है. धारा 13 में कहा गया है कि इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से, किसानों की किस्म और विशेष रूप से निर्यात के उद्देश्य से उत्पादित किस्म को छोड़कर किसी भी प्रकार या किस्म का बीज तब तक नहीं बेचा जाएगा जब तक कि ऐसी किस्म रजिस्टर्डन हो. बीज अधिनियम, 1966 की धारा 5 के अंतर्गत अधिसूचित मौजूदा किस्मों को नए कानून के अंतर्गत रजिस्टर्ड माना जाएगा. वहीं, कानून का उद्देश्य बिक्री और आयात के लिए बीजों की क्वालिटी पर ध्यान देना है.
मंत्रालय ने कहा कि बीज विधेयक, 2025 का मुख्य उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की गारंटी देना, बाजार में बिक रहे नकली या खराब बीजों पर लगाम लगाना और बीज उद्योग के नियमों को आज की जरूरतों के हिसाब से आसान बनाना और समय की बदलती जरूरतों के हिसाब से बीज उद्योग में सुधार लाना है. इस नए कानून को लाने के पीछे सरकार के कई बड़े लक्ष्य हैं. सबसे बड़ा लक्ष्य किसानों को खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज और रोपण सामग्री उपलब्ध कराना है. यह कानून नकली और घटिया बीजों की बिक्री पर रोक लगाएगा. साथ ही, इसका उद्देश्य बीज आयात को उदार बनाना और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना भी है.
संसद में पेश करने के लिए विधेयक को अंतिम रूप देने से पहले मंत्रालय ने किसानों और जनता से सुझाव मांगा है, क्योंकि सरकार पुराने बीज कानूनों को बदलकर, आधुनिक कृषि और बाजार की जरूरतों के अनुरूप एक नया और बेहतर कानून बनाना चाहती है. बता दें सुझाव देने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर है. सुझावों को शामिल करने के बाद, मसौदा केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. फिर मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को संसद में पेश किया जा सकेगा.
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