River Basin: क्या होता है रिवर बेसिन, कैसे खेती में मिलती है इससे मदद, जानें पूरी बात

River Basin: क्या होता है रिवर बेसिन, कैसे खेती में मिलती है इससे मदद, जानें पूरी बात

भारत में खेती कहीं पहाड़ों पर, कहीं नदी के किनारे और कहीं मैदानों में की जाती है. जिसके कारण जगह को देखते हुए फसलों की पैदावार और उत्पादकता दोनों में काफी अंतर होता है. नदी के किनारे की जाने वाली खेती की बात करें तो यह कहीं न कहीं किसानों के लिए काफी बेहतर मानी जाती है. वहीं इस इलाके को रिवर बेसिन कहा जाता है.

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River Basin: क्या होता है रिवर बेसिन, कैसे खेती में मिलती है इससे मदद, जानें पूरी बातसमझें क्या है रिवर बेसिन का खेती में महत्व: GFX- संदीप भारद्वाज

21वीं सदी में भी भारत की गिनती कृषि प्रधान देशों में होती है. यहां आज भी कृषि से संबंधित कार्य बड़े पैमाने पर होता है. यही कारण है कि कृषि आज भी अर्थव्यवस्था को संभालने का कार्य करती है. यहां खेती ना केवल जीवन-यापन के लिए बल्कि कई लोग अपने शौख को पूरा करने के लिए करते हैं. ऐसे में खेती-किसानी से जुड़े लोग बेहतर उपज और गुणवत्ता के लिए प्रकृति पर निर्भर रहते हैं. यानी सिंचाई के लिए बारिश, बेहतर पैदावार के लिए किसानों की निर्भरता मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर बनी रहती है. भारत की बात करें तो विभिन्न राज्यों में मौसम और जलवायु के कारण फसल की पैदावार और उत्पादकता दोनों पर असर पड़ता है.

भारत में खेती कहीं पहाड़ों पर, कहीं नदी के किनारे और कहीं मैदानों में की जाती है. जिसके कारण जगह को देखते हुए फसलों की पैदावार और उत्पादकता दोनों में काफी अंतर होता है. नदी के किनारे की जाने वाली खेती की बात करें तो यह कहीं न कहीं किसानों के लिए काफी बेहतर मानी जाती है. यहां पानी और मिट्टी दोनों की उपजाऊ क्षमता अधिक है. जिसके कारण यह स्थान खेती के लिए बिल्कुल अनुकूल माना जाता है. वहीं, खेती में नदी बेसिन की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नदी बेसिन क्या है और यह खेती में कैसे मदद करता है.

क्या है रिवर बेसिन? (What is river basin?)

पर्वतों को काटते हुए नदियाँ एक-दूसरे से मिलती हैं और जमीन तक पहुँचती हैं. फिर नदियाँ वहीं से अपनी यात्रा शुरू करती हैं. ऐसे में अगर हम नदी बेसिन River Basin) की बात करें तो जिस इलाके से नदियां गुजरती है उस इलाके को वह अपने पानी से सींचते चलती है. शरल भाषा में अगर समझें तो नदी के किनारे वाले क्षेत्र को रिवर बेसिन कहते हैं. जहां से नदियां गुजरती हैं, आसपास की जमीनें नदियों से पानी खींचती हैं. जिससे मिट्टी में नमी की मात्रा हमेशा बनी रहती है. यही कारण है कि यहां की भूमि कृषि के लिये अत्यधिक उपजाऊ है. साथ ही, जब ऐसी जगहों पर बाढ़ आती है तो पानी अपने साथ मिट्टी और अन्य खनिज पदार्थ लेकर आता है और मैदानी इलाकों में इकट्ठा हो जाता है. यही कारण है कि यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है.

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रिवर बेसिन की भूमिका क्या है? (What is the role of river basin in Agriculture?)

कृषि कार्यों को पूरा करने के लिए पानी एक महत्वपूर्ण कड़ी है. पानी की वजह से फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में बढ़त होती है. पानी की कमी अगर हो तो इसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उपज पर दिखाई देता है. ऐसे में रिवर बेसिन की वजह पानी उस क्षेत्र में पानी की समस्या नहीं होती है और इसका सकारात्मक असर खेती पर दिखाई देता है.

किसे कहते हैं रिवर बेसिन? (What is called river basin?)

नदी बेसिन, जिसे वाटरशेड या जल निकासी बेसिन के रूप में भी जाना जाता है. यह जमीन का एक ऐसा क्षेत्र है जहां से सभी वर्षा का पानी एक ही नदी या धारा और उसकी सहायक नदियों में बहती है. यह एक प्राकृतिक नहर की तरह काम करता है, पानी को इकट्ठा करता है और एक सामान्य आउटलेट, आमतौर पर एक बड़ी नदी या झील की ओर ले जाता है. नदी बेसिन की सीमाएं आमतौर पर पर्वत या पहाड़ियों से जुड़ी होती हैं, जो पानी के प्रवाह की दिशा निर्धारित करती हैं.

"नदी बेसिन" शब्द का उपयोग उस भौगोलिक क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो किसी विशेष नदी या जलधारा में योगदान देता है. इसमें भूमि और जल की सभी विशेषताएं शामिल हैं जो नदी में बहती हैं और उससे जाकर मिल जाती हैं. नदी बेसिन का आकार काफी भिन्न हो सकता है, कुछ वर्ग मील में फैले छोटे बेसिन से लेकर हजारों वर्ग मील में फैले बड़े बेसिन तक, यह नदी प्रणाली के आकार और जटिलता पर निर्भर करता है. नदी बेसिन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, मानव उपभोग और कृषि के लिए सिंचाई में अपना योगदान देने के लिए आवश्यक हैं. 

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