Rice Export: जून से भारत का चावल निर्यात बढ़ने की उम्‍मीद, व्‍यापारियों और एक्‍सपर्ट ने कही ये बात

Rice Export: जून से भारत का चावल निर्यात बढ़ने की उम्‍मीद, व्‍यापारियों और एक्‍सपर्ट ने कही ये बात

जून से भारतीय चावल के निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, क्‍योंकि वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के पास स्टॉक खत्‍म हो जाएगा. वहीं, वियतनाम, जहां फरवरी में नई फसल की कटाई हुई थी, उसके पास भी मई के आखिरी तक कम स्टॉक बचना चाहिए.

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Rice Export: जून से भारत का चावल निर्यात बढ़ने की उम्‍मीद, व्‍यापारियों और एक्‍सपर्ट ने कही ये बातचावल निर्यात (सांकेतिक तस्‍वीर)

भारतीय चावल उद्योग के लिए एक खुशखबरी सामने आई है. जून से भारतीय चावल के निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, क्‍योंकि वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के पास स्टॉक खत्‍म हो जाएगा. वहीं, भारत के पक्ष में प्रतिस्‍पर्धी कीमत का फैक्‍टर काम कर रहा है, तुलनात्‍क रूप से देखें तो भारतीय चावल पाकिस्तान और वियतनाम से प्रतिस्‍पर्धा कर रहा है. यह स्थित‍ि भी तब है जब थाईलैंड ने अपने चावल की कीमतें कम कर दी हैं.

पहली तिमाही में धीमा रहा निर्यात

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहा कि पहली तिमाही में चावल का निर्यात धीमा रहा. कीमते गिरने के बाद से खरीदार अभी और कीमतें गिरने के इंतजार में हैं. लेकिन आगे और कीमत कम होने की संभावना नहीं है. वहीं, एक व्‍यापारी ने कहा कि अभी चावल की मांग कम है, लेकिन पता चला है कि वियतनाम भारतीय चावल खरीदने के लिए उत्‍सुक है.

भारतीय चावल का भाव 369 डॉलर प्रति टन

आंकड़ों के मुताबिक, 5 प्रतिशत टूटे हुए सफेद चावल की भारत की मांग एक महीने के अंदर 23 डॉलर प्रति टन घट गई, जबकि पाकिस्तान और वियतनाम ने अपनी कीमतों में 10-13 डॉलर की वृद्धि की है. वहीं, थाईलैंड ने अपनी कीमते 14 डॉलर प्रति टन कम की हैं. सफेद चावल (25 प्रतिशत टूटे) के मामले में पाकिस्तान के बाद थाईलैंड 358 डॉलर कीमत के साथ सबसे ज्‍यादा प्रतिस्पर्धी है, जबकि भारत का यह चावल 369 डॉलर प्रति टन भाव से बिक रहा है.

नई दिल्ली के एक ट्रेड एनालिस्‍ट ने कहा कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया कमजोर होने के कारण भी उसे फायदा हो रहा है, वहां माल ढुलाई का खर्चा कम है, क्योंकि ज्‍यादातर कंटेनर इंपोर्ट किए माल को खाली करने के बाद खाली लौटते हैं.  बीवी कृष्ण राव ने कहा कि पाकिस्तान का स्टॉक एक महीने में खत्म होने का अनुमान है.

123.82 मीट्रिक टन उत्‍पादन रहने का अनुमान

वहीं, वियतनाम, जहां फरवरी में नई फसल की कटाई हुई थी, उसके पास भी मई के आखिरी तक कम स्टॉक बचना चाहिए. ऐसा होने से भारतीय चावल की मांग बढ़ने में मदद मिलेगी. वहीं, थाईलैंड ने भी अपने चावल निर्यात में गिरावट आने की बात कही है. उसका मानना है कि भारत का फिर से चावल के बाजार में उतरने के कारण ऐसा होने की संभावना है.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 के खरीफ और रबी सीजन में भारत का चावल उत्पादन 2023-24 में 127.86 मीट्रिक टन के मुकाबले 123.82 मीट्रिक टन रह सकता है. वहीं, अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद (आईजीसी) का अनुमान है कि  ज्‍यादा बुआई और पैदावार के कारण चावल का उत्पादन 534 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पादन से ज्‍यादा हो सकता है.

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