सितंबर में चावल के निर्यात में 90 परसेंट तक की कमी आई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने कुछ महीने पहले चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. सरकार ने पहले गैर बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध लगाया, उसके बाद बासमती चावल पर बैन लगा दिया. इसमें कुछ शर्तों के साथ बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी है. यह शर्त बासमती के 1200 डॉलर प्रति टन फ्लोर प्राइस का है. पिछले साल से लेकर अभी तक चावल के निर्यात में 90 परसेंट तक गिरावट आई है. यह गिरावट इसलिए भी है क्योंकि कई अफ्रीकी देशों ने भारत से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने से वियतनाम और थाइलैंड से चावल की खरीद शुरू की है.
भारत से चावल का निर्यात रुकने से विदेशी मार्केट में हाहाकार है क्योंकि दुनिया की अधिसंख्य आबादी को भारत अपना चावल खिलाता है. यही वजह है कि अमेरिका ने भारत सरकार से प्रतिबंध को जल्द हटाने की अपील की. कुछ ऐसी ही अपील संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी देखी गई. दुनिया के कई देशों में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारत के चावल की जरूरत होती है. लेकिन जब भारत खुद ही महंगाई से जूझ रहा है, इसलिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया.
नई दिल्ली के एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, पिछले साल से तुलना करें तो इस साल सितंबर महीने में मात्र 10 परसेंट चावल का निर्यात हुआ है. उसना चावल का निर्यात भी घटकर 10 परसेंट तक आ गया है. सरकार ने चावल के निर्यात पर बैन इसलिए लगाया क्योंकि देसी बाजार में चावल की महंगाई देखी जा रही है. देश में चावल की सप्लाई रेगुलर बनी रहे, इसके लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया. घरेलू बाजार में चावल के दाम में वृद्धि का रूझान बना हुआ है. खुदरा बाजार में कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले अच्छी-खासी वृद्धि हुई है.
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घरेलू बाजार में कीमतें कम करने और पर्याप्त सप्लाई बनाए रखने के लिए आठ सितंबर 2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था. बहरहाल, 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाए जाने के बावजूद इस किस्म के चावल का निर्यात 33.66 लाख मीट्रिक टन (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 लाख मीट्रिक टन (सितंबर- मार्च 2022- 23) तक पहुंच गया.
चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से जून की अवधि में इस किस्म के 15.54 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया गया जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि (अप्रैल- जून) के दौरान केवल 11.55 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात हुआ था, यानी 35 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. निर्यात में तेजी के लिए कई वजहों को जिम्मेदार माना गया जिसमें रूस-यूक्रेन की लड़ाई, अल-नीनो और दुनिया के चावल उत्पादक देशों में बिगड़ी जलवायु परिस्थितियां आदि शामिल हैं.
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देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल का 25 प्रतिशत योगदान होता है. गैर-बासमती सफेद चावल और बासमती चावल के निर्यात को बैन करने से देश में उपभोक्ताओं के लिए इसके दाम कम होंगे, यही सोचकर सरकार ने फैसला लिया. सरकार ने लंबे दिनों तक गैर-बासमती चावल (उसना चावल) और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन बाद में उसे भी प्रतिबंधित करना पड़ा. कुल चावल निर्यात में इनका ही योगदान ही अधिक होता है.
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