बेमौसमी बारिश से परेशान किसान (फाइल फोटो)मध्य प्रदेश में पिछले एक हफ्ते से जारी बेमौसमी बारिश और तेज हवाओं ने कई जिलों में पकने के कगार पर खड़ी धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इस आपदा के बाद राज्य प्रशासन ने प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए नुकसान का आकलन शुरू करने के निर्देश दिए हैं. राज्य का ग्वालियर-चंबल क्षेत्र, जिसने कुछ महीने पहले मानसून के दौरान भयंकर बाढ़ का सामना किया था, इस बार की बेमौसमी बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित बताया जा रहा है. खास तौर पर मुरैना, दतिया, श्योपुर जैसे जिलों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है.
राज्य के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शनिवार को अपने गृह जिले दतिया में खराब हुई धान की फसलों का मुआयना किया. इसके बाद उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और उन्हें नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा. पांच बार मंत्री रह चुके मिश्रा, जो पिछले करीब एक महीने से चुनावी राज्य बिहार में डेरा डाले हुए हैं, शनिवार को अपने गृहनगर दतिया लौटे और खराब हुई फसलों का जायजा लेने खेतों में पहुंचे थे.
पूर्व मंत्री मिश्रा ने तहसीलदार अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पटवारी जल्द से जल्द नुकसान का सर्वे शुरू करें. उन्होंने कहा, 'दतिया में बहुत बारिश के कारण बड़ी मात्रा में धान की फसलें नष्ट हो गई हैं. मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलकर किसानों की परेशानियों से उन्हें अवगत कराऊंगा. मुख्यमंत्री ने पहले ही तुरंत सर्वे के निर्देश दे दिए हैं.' भारतीय किसान संघ (BKS) के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह अंजना़ के अनुसार, भारी बारिश के कारण रीवा, जबलपुर, नर्मदापुरम, मंडला, डिंडोरी, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, सीहोर समेत कई जिलों में फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा है.
अंजना ने बताया कि इन इलाकों में खेतों में खड़ी धान और अन्य फसलें पानी में डूब गईं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. अंजना के मुताबिक धान और मक्का जैसी खरीफ फसलों को करीब 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, 'अगर मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश अगले तीन से चार दिन और जारी रही, तो नुकसान और भी बढ़ सकता है. किसान अपनी उपज को तिरपाल से ढककर बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सब कुछ बचा पाना लगभग असंभव है. बुधवार को ही एक दर्दनाक घटना राज्य में हुई है. यहां पर कैलाश मीणा नामक किसान ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने करीब नौ बीघा जमीन पर धान की खेती की थी लेकिन लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से उनका खेत पानी में डूब गया, फसल सड़ गई और बीज, खाद और मजदूरी में लगाया गया पूरा निवेश बर्बाद हो गया.
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