Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 33 नए मामले, कुल संख्या 241 के पार

Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 33 नए मामले, कुल संख्या 241 के पार

पंजाब में पराली जलाने के 33 नए मामले सामने आए, जिससे प्रदूषण बढ़ा है. जानिए किन जिलों में सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं और सरकार क्या कदम उठा रही है.

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Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 33 नए मामले, कुल संख्या 241 के पारपंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ने लगी हैं. शनिवार को रिकॉर्ड 33 नए मामले सामने आए, जो कि इस खरीफ सीजन की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. कुल मिलाकर अब तक राज्य में 241 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.

पराली जलाने की मुख्य वजह धान की कटाई में देरी मानी जा रही है. कटाई के बाद किसान खेतों में बची फसल के अवशेष यानी पराली को जलाते हैं ताकि अगली फसल के लिए खेत तैयार किया जा सके. हालांकि यह तरीका पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक होता है.

दिल्ली-NCR की हवा पर असर

हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलने की घटनाएं दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ाने का बड़ा कारण बनती हैं. सर्दियों में हवा की गति कम होने से यह प्रदूषण कई दिन तक बना रहता है.

सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर

शनिवार को मंडी गोबिंदगढ़ की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित पाई गई, जहां AQI (Air Quality Index) 231 रहा, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है. अन्य शहरों का AQI इस प्रकार रहा:

  • जालंधर: 148
  • लुधियाना: 116
  • पटियाला: 101

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, खराब हवा का सबसे ज्यादा असर अस्थमा, दिल और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों पर पड़ता है.

सबसे ज्यादा पराली जलाने वाले जिले

शनिवार को सामने आए 33 मामलों में से 23 मामले सिर्फ तरनतारण जिले से थे. अब तक:

  • तरनतारण में 88 घटनाएं
  • अमृतसर में 80 घटनाएं

इन दोनों जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं.

पिछली सालों की तुलना में बड़ी गिरावट

पिछले सालों के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में करीब 83% की कमी आई है. 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक:

  • 2023 में: 1,407 मामले
  • 2024 में: 1,348 मामले
  • 2025 में: सिर्फ 241 मामले

विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे कई कारण हैं जैसे फसल कटाई में देरी, मशीनों की उपलब्धता और कड़े नियमों का लागू होना.

दिवाली के बाद होगी असली परीक्षा

राज्य सरकार का कहना है कि 15 नवंबर तक का समय सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इस दौरान सबसे ज्यादा धान की कटाई होती है और पराली जलाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं.

सरकार की सख्ती और जुर्माना

पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं:

  • 104 मामलों में ₹5.15 लाख का जुर्माना, जिसमें से ₹3.65 लाख वसूले जा चुके हैं.
  • 119 एफआईआर दर्ज, जिसमें सबसे ज्यादा 49 तरनतारण और 36 अमृतसर में.
  • 81 किसानों के ज़मीन रिकॉर्ड में “रेड एंट्री”, जिससे वे लोन, जमीन की बिक्री या बंदूक लाइसेंस नहीं ले सकते.

"पराली प्रोटेक्शन फोर्स" का गठन

पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए सरकार ने एक "पराली प्रोटेक्शन फोर्स" बनाई है जिसमें:

  • 5,000 नोडल अधिकारी
  • 1,500 क्लस्टर कोऑर्डिनेटर
  • 1,200 फील्ड ऑफिसर

ये सभी मिलकर 11,624 गांवों में निगरानी रखेंगे.

हालांकि पराली जलाने के मामलों में इस बार अब तक कमी देखने को मिली है, लेकिन असली चुनौती आने वाले हफ्तों में है. सरकार, प्रशासन और किसानों को मिलकर इस पर नियंत्रण करना होगा, ताकि हवा साफ रहे और आम लोगों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे.

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