
बारिश-आंधी या दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को फसलों बर्बादी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चला रही है. केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा कराने के लिए तय कटऑफ डेट को बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने भी किसानों को योजना का लाभ देने के लिए बीमा कराने की अंतिम तिथि को 15 दिनों के लिए और बढ़ाया है.
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत जनवरी 2016 में की थी. इन 8 वर्षों के दौरान 70 करोड़ से अधिक किसानों ने फसलों का बीमा कराया है. इनमें से 19.67 करोड़ से अधिक किसानों को फसल नुकसान की भरपाई की गई है. इसके तहत 1.64 लाख करोड़ से अधिक राशि का बीमा क्लेम किसानों को भुगतान किया जा चुका है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन 2024 के लिए 8.69 करोड़ से अधिक किसानों के पीएम फसल बीमा योजना के जरिए अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए आवेदन किया.
रबी सीजन फसलों की सुरक्षा के मद्देनजर किसानों को योजना का लाभ देने के लिए बीमा कराने की अंतिम तिथि को 15 दिन बढ़ाया गया है. पहले 31 दिसंबर 2024 बीमा कराने की अंतिम तिथि थी. इसे अब बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया गया है. पीएम फसल बीमा योजना की आधिकारिक पोर्टल के जरिए किसानों से कहा गया है कि वह अपनी फसलों का बीमा जरूर करा लें. रबी 2024-25 सीजन के लिए किसान 15 जनवरी 2025 तक नामांकन करवा सकते हैं.
फसल बीमा योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि रक्षक पोर्टल (KRPH) और हेल्पलाइन 14447 पर कॉल कर सकते हैं या फिर व्हाट्सऐप चैटबॉट नंबर 7065514447 पर मैसेज कर सकते हैं. इसके अलावा किसानों को क्रॉप इंश्योरेंस ऐप्लीकेशन डाउनलोड करने की भी सलाह दी गई है. ऐप्लीकेशन पर फसल सुरक्षा से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं. किसान संपर्क करके जरूरी डॉक्यूमेंट समेत अन्य जानकारी और बीमा कराने की प्रक्रिया समझ सकते हैं.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसानों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए मा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से फसल बीमा पंजीकरण की अंतिम बढ़ाने का अनुरोध किया था, जिसे मानकर फसल बीमा पंजीकरण की अंतिम तिथि को 15 जनवरी तक बढ़ा दिया है. आप किसानों से अनुरोध है कि 15 जनवरी तक अपनी फसलों का बीमा अवश्य करा लें जिससे आपदा की स्थिति में क्षतिपूर्ति मिल सके.
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