पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदेश में 1 जून से धान की रोपाई का ऐलान किया है. पंजाब में धान की रोपाई 15 जून से होती है, मगर इस बार सरकार ने इसे 15 दिन पहले शुरू करने का निर्णय लिया है. इस फैसले का विरोध हो रहा है. साथ ही कुछ लोग इसके समर्थन में भी हैं. विरोध में तर्क है कि धान की जल्दी रोपाई से भूजल तेजी से खत्म होगा जो कि पंजाब के लिए बड़ी समस्या है. यह भी कहा जा रहा है कि जल्दी रोपाई शुरू होने से किसान फिर अधिक अवधि वाली किस्मों की ओर लौटेंगे जिससे पानी के खर्च पर दबाव बढ़ेगा. दूसरी ओर पंजाब सरकार का कहना है कि इस फैसले से फसल विविधता में मदद मिलेगी और किसान दूसरी फसलों की ओर रुख करेंगे.
राजिंदर सिंह, महासचिव कीर्ति किसान यूनियन ने इस फैसले पर कहा, धान की बुआई के लिए सरकार द्वारा दी गई 1 जून की तारीख में कुछ भी गलत नहीं है. यह समय अच्छा है. लेकिन असली मुद्दा यह है कि क्या धान पंजाब के लिए अच्छा है. अगर सरकार भूजल के मुद्दे पर गंभीर है तो उसे वैकल्पिक फसलों पर ध्यान देना चाहिए और कम पानी की खपत वाली सभी फसलों पर एमएसपी देकर बढ़ावा देना चाहिए. सरकार को यह तय करना चाहिए कि सभी वैकल्पिक फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी जाए ताकि किसान दुष्चक्र से बाहर आ सकें और भूजल बच सके.
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एसएस जोहल कृषि विशेषज्ञ ने कहा, पंजाब सरकार ने 1 जून से धान की बुआई शुरू करने का फैसला किया है और विशेषज्ञों ने भी इसका विरोध किया है क्योंकि इससे भूजल प्रभावित होता है. पंजाब पहले से ही पानी की समस्या से जूझ रहा है और 1 जून गर्मी का मौसम होता है और इस दौरान बहुत पानी की खपत होती है. मुझे नहीं पता कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है लेकिन यह घटते भूजल के लिए अच्छा नहीं है. कोई बात नहीं, वे चरणबद्ध तरीके से शुरू कर रहे हैं. पूरा पंजाब भूजल की समस्या से जूझ रहा है.
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति बीएस ढिल्लों ने भी डॉक्टर जोहर के सुर में सुर मिलाया है. उनका कहना है कि अगर भूजल दोहन अपनी वर्तमान दर से जारी रहा तो पंजाब के 300 मीटर तक के भूजल संसाधन 20-25 सालों के अंदर खत्म हो सकते हैं. वहीं 100 मीटर की गहराई पर पानी एक दशक के अंदर गायब हो सकता है. उनका कहना है कि धान की रोपाई की तारीखों को पहले करने की जगह कम अवधि वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देना चाहिए.
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एक सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर सरकार ने 15 दिन पहले धान का सीजन शुरू करने का फैसला क्यों लिया. इसके बारे में खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान बता चुके हैं. उन्होंने कहा है, इस बार 6-6 या 7-7 जिलों में 4 जोन बनाए जाएंगे जिनमें अलग-अलग तारीखों पर धान की रोपाई होगी. इससे सभी जिले के किसानों को लाभ होगा और पानी पर एकसाथ दबाव नहीं पड़ेगा. उनका तर्क है कि आगे चलकर खेत में नमी की मात्रा बढ़ जाती है जिसका प्रभाव धान पर दिखता है. इसलिए रोपाई के समय को पहले किया गया है.
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