जलवायु बदलाव से फसलों को बचाने की रणनीति पर काम शुरू, राज्य सरकार का टिकाऊ खेती तकनीक पर फोकस 

जलवायु बदलाव से फसलों को बचाने की रणनीति पर काम शुरू, राज्य सरकार का टिकाऊ खेती तकनीक पर फोकस 

ओडिशा सरकार के कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग के प्रधान सचिव अरबिंद के पाधी ने कहा कि ओडिशा जलवायु-अनुकूल और समावेशी कृषि में अग्रणी है. हम जलवायु बदलाव से फसलों और किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए रणनीति पर काम कर रहे हैं.

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जलवायु बदलाव से फसलों को बचाने की रणनीति पर काम शुरू, राज्य सरकार का टिकाऊ खेती तकनीक पर फोकस स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए नई टिकाऊ खेती तकनीक पर फोकस किया जा रहा है.

जलवायु बदलाव के चलते अनियमित मौसम और तूफान जैसी आपदाओं से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. ओडिशा में किसानों के बढ़ते आर्थिक नुकसान और फसलों को चौपट होने से बचाने के लिए जलवायु अनुकूल किस्मों पर फोकस किया जा रहा है. राज्य की 50 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर है, इसके चलते उत्पादन और लागत दोनों ही मोर्चों पर किसानों को कई बार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता है. स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए नई टिकाऊ खेती तकनीक पर फोकस किया जा रहा है.

ओडिशा सरकार के कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग के प्रधान सचिव अरबिंद के पाधी ने कहा कि ओडिशा जलवायु-अनुकूल और समावेशी कृषि में अग्रणी है. हम जलवायु बदलाव से फसलों और किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए रणनीति पर काम कर रहे हैं. एजेंसी के अनुसार ओडिशा समावेशिता, विविधीकरण और जलवायु लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों में अग्रणी के रूप में उभर रहा है.

बारिश पर खेती की निर्भरता घटाने पर जोर 

उन्होंने कहा कि कृषि ओडिशा के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 22 फीसदी का योगदान देती है और इसकी 55-60 फीसदी आबादी खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लोग खेती पर पूरी तरह निर्भर हैं. फिर भी 45-50 फीसदी कृषि भूमि बारिश पर निर्भर है. इसलिए राज्य इन कमजोरियों को दूर करने के लिए क्षेत्र के हिसाब से खास रणनीतियों पर प्राथमिकता पर काम कर रहा है. 

फसल पैटर्न में बदलाव लाने पर फोकस 

राज्य के फसल पैटर्न पर उन्होंने कहा कि यहां धान की खेती प्रमुख है, लेकिन राज्य सक्रिय रूप से सब्जियों, दालों, तिलहन और बाजरा जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा दे रहा है और कृषि उत्पादन क्लस्टर जैसी पहल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अलावा चावल परती प्रबंधन के जरिए परती भूमि में दालों और तिलहनों की खेती करके मिट्टी की उर्वरता में सुधार और किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करने में मददगार बन रहा है. 

सूखा-बारिश का सामना करने वाली किस्में लाएंगे

अधिकारी ने कहा कि चूंकि ओडिशा में बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं अक्सर आती रहती हैं, इसलिए जलवायु वास्तव में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है. हम अपनी कृषि पद्धतियों को जलवायु के अनुसार लचीला बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि धान समेत कई फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जा रही हैं, जो सूखा और बारिश की स्थितियों का सामना कर सकें. 

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