क्लाईमेट चेंज से खेती को बचाने के लिए सरकार की खास तैयारी, कृषि सचिव ने बताया प्लान और तरीका

क्लाईमेट चेंज से खेती को बचाने के लिए सरकार की खास तैयारी, कृषि सचिव ने बताया प्लान और तरीका

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रमुख रणनीतियों पर काम कर रही है. सरकार की ओर से जलवायु परिवर्तन यानी क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को कम करने के प्रयासों के तहत किसानों को रसायन मुक्त कृषि की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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क्लाईमेट चेंज से खेती को बचाने के लिए सरकार की खास तैयारी, कृषि सचिव ने बताया प्लान और तरीकानेचुरल फार्मिंग

नेचुरल और जैविक खेती करने वाले किसानों को मिलेंगे कई तरीके के लाभ, क्लाइमेट चेंज के असर को लेकर सरकार सतर्क
देश में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है. इसमें जैविक खेती मिशन (NPOP), के साथ ही जैविक तरीके  से उगाई गई फसलों की एमएसपी से अधिक कीमत देना भी शामिल है. हिमाचल समेत कई राज्य सरकारें भी मिट्टी सुधार और नेचुरल फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए योजनाएं चला रही हैं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव ने कहा है कि कई ऐसे किसान हैं जो वर्षों से इस तरीके से खेती को सफलतापूर्वक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम देश भर में 70,000 अनाज भंडारण केंद्र बनाने की योजना बना रहे हैं.

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही सरकार

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रमुख रणनीतियों पर काम कर रही है. सरकार की ओर से जलवायु परिवर्तन यानी क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को कम करने के प्रयासों के तहत किसानों को रसायन मुक्त कृषि की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. बिजनेस लाइन के अनुसार कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि कई ऐसे किसान हैं जो वर्षों से इसे सफलतापूर्वक कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमें इस पद्धति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जो टिकाऊ है और उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित, स्वस्थ भोजन सुनिश्चित करती है. यह एक परिवर्तनकारी पहल होगी जिसका उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर करना है. उन्होंने कहा कि यह समस्या अत्यधिक रासायनिक उपयोग के कारण उत्पन्न हुई है.

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जलवायु परिवर्तन प्रवाभ से बचने की रणनीति

उन्होंने बताया कि केंद्र ने किसानों को बचाने के लिए दो-आयामी रणनीति अपनाई है. जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से बचाव के लिए रणनीतियों में सूखा और बाढ़ प्रतिरोधी फसल किस्में तैयार करना, कुशल जल प्रबंधन तकनीकों को लागू करना और अत्यधिक प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में फसल बीमा के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करना शामिल है. सरकार का लक्ष्य किसानों को जलवायु-स्मार्ट प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कार्बन बाजार प्रोत्साहन का उपयोग करना है. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका सुनिश्चित करना है.

दो लाख पैक्स बनाने की प्रक्रिया जारी

सहकारिता एक महत्वपूर्ण साधन सहकारिता मंत्रालय के सचिव आशीष भूटानी ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि केंद्र ने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के दायरे का विस्तार करके सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रयास के तहत ये काम किया जा रहा है.

उन्होंने ग्रामीण भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बनाने में महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में सहकारी समितियों का लाभ उठाने के लिए एक मामला प्रस्तुत किया. बढ़ते तापमान से उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय दो लाख बहुउद्देश्यीय पैक्स बनाने की प्रक्रिया में है, जिससे उनकी पारंपरिक पहुंच का विस्तार होगा.

देश में 70,000 अनाज भंडारण बनाने की योजना

उन्होंने कहा कि हम देश भर में 70,000 अनाज भंडारण केंद्र बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसके संचालन में PACS की भूमिका होगी. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज भंडारण के महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करने के अलावा, यह पहल परिवहन लागत को कम करेगी और खरीद केंद्रों के रूप में कार्य करेगी.

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