केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाहमध्य प्रदेश के रीवा में आयोजित एक किसान सम्मेलन में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रासायनिक उर्वरकों को कई बीमारियों की जड़ बताते हुए प्राकृतिक खेती को भविष्य की जरूरत करार दिया. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि पानी की बचत करती है और समाज के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है. किसानों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि आज खेती में जिस तरह से रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल हो रहा है, उसका असर सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि इंसान की सेहत पर भी पड़ रहा है.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर आज कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं. इसके विपरीत प्राकृतिक खेती किसानों की आय को घटाती नहीं, बल्कि उनके उत्पाद को शुद्ध बनाकर बेहतर दाम दिलाने का रास्ता खोलती है. अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती कोई नई पद्धति नहीं है, बल्कि यह भारत की पारंपरिक कृषि व्यवस्था का हिस्सा रही है, जिसे समय के साथ भुला दिया गया.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से लगभग 21 एकड़ जमीन की खेती संभव है. इससे न केवल खेती की लागत घटती है, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरती है. उन्होंने बताया कि देश में अब तक करीब 40 लाख किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं.
अमित शाह ने यह भी कहा कि उन्होंने खुद अपने खेतों में प्राकृतिक खेती करके देखी है और इससे उत्पादन में कमी नहीं आई, बल्कि कई मामलों में उपज बेहतर हुई है. इससे यह साफ होता है कि प्राकृतिक खेती सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों की दुनिया भर में बड़ी मांग है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों के लिए एक पूरी व्यवस्था विकसित कर रही है. इस व्यवस्था में मिट्टी की जांच, प्रयोगशाला में उत्पाद की जांच, सर्टिफिकेशन, पैकेजिंग, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट तक की पूरी श्रृंखला शामिल होगी. उद्देश्य यह है कि भारतीय किसानों का प्राकृतिक उत्पाद वैश्विक बाजार में बेहतर पहचान बना सके.
अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय के जरिए दो बड़े सहकारी संस्थान बनाए गए हैं. ये संस्थान प्राकृतिक खेती से जुड़े उत्पादों का सर्टिफिकेशन, आधुनिक और विश्वस्तरीय लैब में जांच, पैकेजिंग, मार्केटिंग और निर्यात का काम कर रहे हैं. इससे किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा और बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी.
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देशभर में 400 से अधिक प्रयोगशालाएं किसानों को प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएंगी. इससे प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की आय में लगभग डेढ़ गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है. अमित शाह के अनुसार, यह व्यवस्था किसानों और पशुपालकों दोनों के लिए नए अवसर खोलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी.
रीवा में मौजूद एक गोशाला का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि यहां गोबर आधारित प्राकृतिक खेती की पूरी श्रृंखला विकसित की गई है. उन्होंने बताया कि इस तरह की खेती से प्रति एकड़ जमीन पर 1.25 लाख रुपये तक की आय संभव है. यह मॉडल खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है.
कार्यक्रम से पहले अमित शाह ने बासमन मामा गौ परियोजना का भी दौरा किया और इसे एक सराहनीय पहल बताया. बासमन मामा को विंध्य क्षेत्र में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि उन्होंने आठवीं शताब्दी में इस क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था. अमित शाह ने कहा कि ऐसी परंपराएं हमें प्रकृति और पशुधन के महत्व की याद दिलाती हैं.
इस किसान सम्मेलन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, मंत्री प्रह्लाद पटेल सहित कई वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों में खासा उत्साह देखने को मिला. (पीटीआई)
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