Cardamom Export: इलायची किसानों के लिए गुड न्‍यूज, रमजान के सीजन में बड़े मुनाफे का मौका 

Cardamom Export: इलायची किसानों के लिए गुड न्‍यूज, रमजान के सीजन में बड़े मुनाफे का मौका 

इस सीजन में ग्वाटेमाला का उत्पादन 14,000 टन के मुकाबले करीब 17,000 टन होने की उम्मीद है. आमतौर पर उत्पादन करीब 40,000 से 50,000 टन होता है. पिछले साल सूखे के कारण दोबारा प्लांटिंग नहीं की गई है. ऐसे में अगले साल उत्पादन करीब 22,000 टन होने की संभावना है.  इडुक्की के कई इलायची उगाने वाले इलाकों में कटाई का मौसम चल रहा है.

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Cardamom Export: इलायची किसानों के लिए गुड न्‍यूज, रमजान के सीजन में बड़े मुनाफे का मौका 

ग्वाटेमाला में इलायची की फसल खराब होने से भारतीय एक्सपोर्टर्स की उम्मीदें फिर से जग गई हैं. उन्‍हें अब उम्‍मीद है कि वो ज्‍यादा से ज्यादा मात्रा में विदेशों में शिपमेंट भेज सकेंगे. यह जानकारी और भी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है क्‍योंकि जल्‍द ही रमजान का मौसम शुरू होने वाला है और ऐसे में उन्‍हें अब उम्‍मीद है कि वो खाड़ी देशों के बाजारों में इसका निर्यात ज्‍यादा से ज्‍यादा मात्रा में कर सकेंगे. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा स्थिति से भारत के पास 12,000 से 14,000 टन के रिकॉर्ड शिपमेंट का मौका है. साथ ही साथ वह ज्‍यादा से ज्‍यादा मात्रा में निर्यात करके इस स्थिति से फायदा उठा सकेगा. 

केरल में जारी है फसल कटाई 

अखबार बिजनेसलाइन ने इडुक्की में इलायची के किसान एसबी प्रभाकर के हवाले से बताया कि इस सीजन में ग्वाटेमाला का उत्पादन 14,000 टन के मुकाबले करीब 17,000 टन होने की उम्मीद है. आमतौर पर उत्पादन करीब 40,000 से 50,000 टन होता है. पिछले साल सूखे के कारण दोबारा प्लांटिंग नहीं की गई है. ऐसे में अगले साल उत्पादन करीब 22,000 टन होने की संभावना है. इडुक्की के कई इलायची उगाने वाले इलाकों में कटाई का मौसम चल रहा है.

मार्च 2026 तक रुक-रुक कर कटाई होती रहेगी. कैलेंडर वर्ष 2025 में नीलामी में आवक 30,000 से 31,000 टन के बीच रहने की उम्मीद है, जिसमें औसत कीमतें 2520 रुपये प्रति किलोग्राम रहेंगी. उन्होंने कहा कि प्रोड्यूसर्स के लिए, 2025 का साल 2024 में अल नीनो सूखे के बाद बेहतर रहा. ला नीना की स्थितियों के साथ, यह सेक्टर मार्च 2026 तक अच्छी बारिश की उम्मीद कर रहा है. 

बदलती ग्लोबल डायनामिक्स

हार्नेज फिन EPSL के वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस के डायरेक्टर हरीश एम.वी. ने कहा कि ग्वाटेमाला में फसल खराब होने से ग्लोबल सप्लाई-डिमांड डायनामिक्स में बड़ा बदलाव आया है. इससे भारत के लिए ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह वापस पाने का एक असाधारण रणनीतिक मौका माना जा रहा है. सालों से, भारतीय इलायची (जो तेल से भरपूर और प्रीमियम है) सऊदी अरब, यूएई, कुवैत जैसे खाड़ी बाजारों में सस्ती, कम ग्रेड वाली ग्वाटेमाला की इलायची के भारी वॉल्यूम से मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रही थी. ग्वाटेमाला का प्रोडक्शन कम होने से, भारतीय निर्यातकों को पूछताछ में भारी बढ़ोतरी दिख रही है. 

प्राइमरी सप्‍लायर बनेगा भारत  

उन्होंने कहा कि भारत रमजान/ईद के पीक सीजन के लिए प्राइमरी सप्लायर बनने के लिए तैयार है. खाड़ी देशों में कहवा कॉफी के लिए इलायची की डिमांड सबसे ज्‍यादा होती है. उन्होंने आगे कहा कि 12,000 से 14,000 टन का निर्यात औसत 6,000-8,000 टन से एक बड़ी छलांग होगी. मिडिल ईस्ट का बाजार फिलहाल कीमतों के लिए कम संवेदनशील और 'उपलब्धता के प्रति ज्‍यादा संवेदनशील' है. साथ ही उन्हें त्योहारी सीजन के लिए सबसे हरी, सबसे बड़ी फली चाहिए और वे ग्वाटेमाला की सप्लाई की कमी के कारण भारतीय स्टॉक हासिल करने के लिए प्रीमियम देने को तैयार हैं.  भारतीय 8 एमएम इलायची की कीमत फिलहाल लगभग 35 डॉलर प्रति किलोग्राम है. 

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