Palm Oil का तेल निकालने की तैयारी! सरसों-सोयाबीन किसानों को क्‍या फायदा?

Palm Oil का तेल निकालने की तैयारी! सरसों-सोयाबीन किसानों को क्‍या फायदा?

कृषि मंत्रालय की सिफारिश से पूर्व कृषि व मूल्‍य लागत आयोग (CACP) ने रबी मार्केटिंग सीजन 2024-2025 की अपनी सिफारिशी रिपोर्ट में खाद्य तेलों के सस्‍ते इंपोर्ट से सरसों, सोयाबीन जैसी घरेलू तिलहनी फसलों पर पड़ रहे असर पर चिंता जताई थी.

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Palm Oil का तेल निकालने की तैयारी! सरसों-सोयाबीन किसानों को क्‍या फायदा?पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी में सरकार, किसे होगा फायदा

खाद्य तेल मार्केट का माहौल बीते कुछ दिनाें से गरमाया हुआ है. कहा जा रहा है कि सरकार पाम ऑयल का खेल बिगाड़ने की तैयारी में है, जिसके तहत इन दिनों पाम ऑयल और सोयाबीन तेल की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. बाजार में इन चर्चाओं का सार सीधे तौर पर किसानों से जुड़ा है. मसलन, अगर सरकार पाम ऑयल और सोयाबीन तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाती है, तो इससे इन दोनों का इंपोर्ट महंगा हो जाएगा, लेकिन सवाल ये है कि इससे किसानों का क्‍या संबंध है. सवाल ये भी अगर सरकार पाम ऑयल और सोयाबीन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा भी देती है तो आखिर इससे देश के सोयाबीन और सरसों किसानों को कैसे और कितना फायदा होगा. इन सवालों के जवाब आज खोजने की कोशिश करेंगे. साथ ही जानेंगे कि आखिर क्‍यों कहा जा रहा है कि सरकार पाम ऑयल और सोयाबीन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने जा रही है.

अभी कितनी है पाम और सोयाबीन पर इंपोर्ट ड्यूटी 

संसद में सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार क्रूड यानी कच्‍चे पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी इंपोर्ट में कोई शुल्‍क नहीं है. हालांकि पहले तक 2.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी, जिसे बीते साल हटा दिया गया था. इसी तरह रिफाइंड पाॅम आयल और साेयाबीन पर मौजूदा वक्‍त में 12.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है. इससे पहले 17.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी. 2021 से पहले तक रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर 32.5 फीसदी ड्यूटी लगती थी. सरकार की तरफ से इंपोर्ट ड्यूटी पर लिए गए ये फैसले 31 मार्च 2025 तक वैद्य रहेंगे. कुल जमा देश में पाम ऑयल फ्री इंपोर्ट हो रहा है.

क्‍या होती है इंपोर्ट ड्यूटी, किसानों से क्‍या संबंध

इस पूरे मामले को विस्‍तार से समझने से पहले जानते हैं कि इंपोर्ट ड्यूटी क्‍या होती है और कैसे ये खाद्य तेल मार्केट और किसानों को प्रभावित करती है. असल में पाम ऑयल, सोयाबीन इंपोर्ट पर लगने वाली फीस को ड्यूटी कहा जाता है, जो वहां से इंपोर्ट होने वाले आयटम के दाम पर लगती है. वहीं ये इंपोर्ट ड्यूटी सीधे तौर पर किसानों को प्रभावित करती है. इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती करने पर व्‍यापारी कम कीमत में पाम ऑयल, साेयाबीन इंपोर्ट कर लेते हैं. सस्‍ते पाम ऑयल, सोयाबीन देश की तिलहनी फसलों के बाजार को नुकसान करते हैं.

इंपोर्ट ड्यूटी पर कृषि मंत्रालय की सिफारिश

अब बात करते हैं कि आखिर क्‍यों पाम ऑयल और सोयाबीन तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. इसके पीछे कृषि मंत्रालय की तरफ से सरकार के समक्ष की गई एक सिफारिश है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृषि मंंत्रालय ने अपने सिफारिशी नोट में सरकार से मांग की है कि किसी भी इंपोर्टेट खाद्य तेल का अंतिम दाम घरेलू तिलहनी फसलों के दाम से कम नहीं होना चाहिए. इस पर संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्रालय ने पाम ऑयल और सोयाबीन तेल पर लगाई जा रही इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाए जाने की मांग सरकार से की है. माना जा रहा है कि इस पर सरकार जल्‍द ही फैसला ले सकती है.

इंपोर्ट ड्यूटी पर CACP की सिफारिश 

कृषि मंत्रालय की सिफारिश से पूर्व कृषि व मूल्‍य लागत आयोग (CACP) ने रबी मार्केटिंग सीजन 2024-2025 की अपनी सिफारिशी रिपोर्ट में खाद्य तेलों के सस्‍ते इंपोर्ट से सरसों, सोयाबीन जैसी घरेलू तिलहनी फसलों पर पड़ रहे असर पर चिंता जताई थी. CACP ने अपनी सिफारिशों में घरेलू तिलहनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए एक डायनेमिक स्‍ट्र्रक्‍चर बनाने को कहा था.जो खाद्य तेलों की ग्‍लोबली और घरेलू कीमतें, मांग- आपूर्ति और MSP को ध्‍यान में रखकर तैयार करने की सिफारिश की CACP की थी. 

साेयाबीन किसानों को सीधा फायदा

माना जा रहा है कि पाम ऑयल और सोयाबीन तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला केंद्र सरकार जल्‍द ले सकती है. जिसका सीधा फायदा सोयाबीन किसानों को हो सकता है, जिससे महाराष्‍ट्र में बीजेपी को भी चुनावी माइलेज मिलने की उम्‍मीद है. असल में देश में मध्‍य प्रदेश और महाराष्‍ट्र सोयाबीन के बड़े उत्‍पादक हैं. मौजूदा वक्‍त में सोयाबीन की नई फसल आने में वक्‍त है, लेकिन बाजार में सोयाबीन के दाम 3800 से 4200 रुपये क्‍विंटल के पास हैं, जबकि सोयाबीन का MSP 4892 रुपये क्‍विंटल है.

ऐसे में किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. कुल जमा पाम ऑयल ने सोयाबीन का गणित बिगाड़ा हुआ है. विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि सोयाबीन तेल में सस्‍ते पाम ऑयल का समिश्रण किया जा रहा है. इस वजह से सोयाबीन के दाम गिरे हुए हैं. अगर सरकार पाम ऑयल और साेयाबीन तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाती है तो बाजार में इनके दामों में बढ़ोतरी होगी, जिसका फायदा देसी सोयाबीन को होगा. मसलन, सोयाबीन किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे. वहीं महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भी इसका फायदा हो सकता है. 

सरसों किसानों को करना होगा इंतजार!

बेशक सस्‍ते पाम ऑयल ने सबसे अधिक सरसों का तेल निकाला हुआ है, लेकिन पाम ऑयल में इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने की स्‍थिति में भी सरसों किसानों को फिलहाल फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है. हम सब जानते हैं कि फ्री पाम ऑयल इंपोर्ट नीति ने सबसे अधिक सरसों को प्रभावित किया. असल में सरसों रबी सीजन फसल है, मार्च से मई तक सरसों की आवक होती है.

इस दौरान सस्‍ते पाम ऑयल इंपोर्ट होने से देश में सरसों का भाव MSP से नीचे रहा. मसलन, किसानों को 4000 रुपये क्‍विंटल पर सरसों बेचनी पड़ी, जबकि सरसों का MSP 5650 रुपये क्‍विंटल था. अब अगर पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ती है तो देश के सरसों किसानों को फिलहाल इसका फायदा नहीं होगा. इसके पीछे का कारण ये है कि अधिकांश किसान अपनी सरसों बेच चुके हैं. तो वहीं बड़ी संख्‍या में सरसों व्‍यापारियों के पास स्‍टॉक है. ऐसे में सरसों किसानों को इसका फायदा नहीं होता हुआ दिख रहा है, मसलन, उन्‍हें फिलहाल 6 महीने का इंतजार करना होगा.

 

 

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