कृषि प्रधान राज्य के रूप में अपनी पहचान रखने वाला बिहार आज भी कृषि उत्पादों को बेहतर बाजार दिलाने के मामले में पीछे है. हालांकि, गुरुवार को बिहार के कृषि निर्यात को नई दिशा और सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से एक ऐतिहासिक पहल की गई. केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने राजधानी पटना में अपना प्रथम क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किया. इस दौरान 7 मीट्रिक टन मिथिला मखाना (अनुमानित मूल्य 1 करोड़ रुपये) की वाणिज्यिक खेप अमेरिका, कनाडा और न्यूजीलैंड के लिए रवाना की गई.
पटना के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जीआई-टैग प्राप्त मिथिला मखाना की पहली वाणिज्यिक खेप अमेरिका, कनाडा और न्यूजीलैंड के लिए बिहार के APEDA कार्यालय के सहयोग से रवाना की. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने इसे बिहार के कृषि निर्यात इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय बताते हुए केंद्र सरकार की किसानों और उद्यमियों के सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि पटना में APEDA का यह कार्यालय राज्य के कृषि निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा. APEDA कार्यालय कृषि भवन परिसर में स्थापित किया गया है.
अब तक बिहार के व्यापारियों और किसानों को कृषि उत्पादों, फल-सब्ज़ियों, मांस, खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े सामान आदि के निर्यात के लिए APEDA के वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन पटना में कार्यालय खुलने के बाद उन्हें वाराणसी जाने की आवश्यकता नहीं होगी. यह नया कार्यालय निर्यातकों को प्रत्यक्ष मार्गदर्शन, प्रमाणन सहयोग, बाजार की अपडेट जानकारी और प्रक्रियात्मक सुविधाएं उपलब्ध कराएगा, जिससे समयबद्ध समाधान और राज्य स्तर पर संस्थानों के साथ बेहतर समन्वय सुनिश्चित होगा. APEDA का मुख्य उद्देश्य किसानों, निर्यातकों और व्यापार से जुड़े लोगों को समर्थन देना, गुणवत्ता मानक तय करना और उन्हें वैश्विक बाजार से जोड़ना है.
पटना के कृषि भवन में स्थापित APEDA के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा विदेश भेजी गई पहली खेप मिथिला का मखाना रही. इस निर्यात खेप की सबसे खास बात यह रही कि इसका नेतृत्व एक महिला उद्यमी ने किया. यह पहल न केवल बिहार के कृषि क्षेत्र की क्षमता को उजागर करती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण उत्पादकों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ने का भी प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है. क्षेत्रीय कार्यालय के खुलने से यह उम्मीद की जा रही है कि बिहार का मिथिला मखाना ही नहीं, बल्कि अन्य जीआई टैग उत्पाद जैसे शाही लीची, जर्दालु आम, मर्चा धान, कतरनी चावल और तिलकुट जैसे पारंपरिक कृषि उत्पादों को भी वैश्विक मंच मिलेगा.
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