पान के साथ करें परवल और लौकी की खेती, इस नई तकनीक से दोहरा लाभ पा सकते हैं किसान

पान के साथ करें परवल और लौकी की खेती, इस नई तकनीक से दोहरा लाभ पा सकते हैं किसान

मिश्रित खेती में दो या दो से अधिक फसलें एक ही खेत में एक साथ उगाई जाती हैं. इसमें फसलों के साथ-साथ पशुओं को भी उसी खेत में पाला जाता है. इसके अलावा उसी खेत में फसल के साथ-साथ पेड़ भी लगाए जाते हैं. इस खेती के लिए क्षेत्र की जलवायु के अनुसार फसलों और पशुओं का चयन किया जाता है.

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पान के साथ करें परवल और लौकी की खेती, इस नई तकनीक से दोहरा लाभ पा सकते हैं किसानपान के साथ करें इन सब्जियों की खेती

देश में आज भी मौसम के आधार पर खेती की जाती है. हर फसल को उसके मौसम के अनुकूल बोया और काटा जाता है. फसलों के मौसम की बात करें तो यह मुख्यतः तीन भागों में बटा हुआ है. रबी, खरीफ और जायद जिसमें अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है. ऐसे में अधिकतर किसान एक सीजन में एक या दो फसलों की ही खेती कर पाते हैं. जिस वजह से उन्हें आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में किसान मिश्रित खेती की मदद से एक साथ कई फसलों की खेती कर लाभ उठा सकते हैं. जैसे पान की खेती कर रहे किसान परवल और लौकी की खेती भी कर सकते हैं. वो कैसे आइए जानते हैं. 

क्या है मिश्रित खेती?

मिश्रित खेती में दो या दो से अधिक फसलें एक ही खेत में एक साथ उगाई जाती हैं. इसमें फसलों के साथ-साथ पशुओं को भी उसी खेत में पाला जाता है. इसके अलावा उसी खेत में फसल के साथ-साथ पेड़ भी लगाए जाते हैं. इस खेती के लिए क्षेत्र की जलवायु के अनुसार फसलों और पशुओं का चयन किया जाता है. इससे किसान एक सीजन में एक नहीं बल्कि कई फसलों की खेती कर उसे बेच मुनाफा कमा सकते हैं. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी ठीक होती है और खेतों का सही उपयोग भी होता है.

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पान के साथ करें परवल और लौकी की खेती

मिश्रित खेती के तहत पान बरेजा में ऐसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जो रोज की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पान के बेलों को भी नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. पान किसान उपयुक्त सब्जियों जैसे परवल, पोई, पपीता, अरबी, मिर्च, लौकी, तुरई, खीरा, पालक, रतालू और अदरक आदि से भी काफी अतिरिक्त आय कमा सकते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. पान की पौध के साथ पालक, कोदो आदि भी बोया जा सकता है. जिससे बरेजा के सूक्ष्म वातावरण में नमी बढ़ती है और पान के कोमल पौधों को लू से भी सुरक्षा मिलती है. इसके अलावा, किसान इस तकनीक की मदद से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को भी पूरा कर सकते हैं. 

परवल की खेती का तरीका

कई किसान परवल के पौधों की रोपाई का कार्य उसकी जड़ों के माध्यम से भी करते हैं. इसकी खेती के लिए जैविक विधि से मिट्टी तैयार की जाती है, जिसके बाद पानी निकाल कर मेड़ों पर या क्यारियां बनाकर पौधे या जड़ें लगानी चाहिए. इसकी रोपाई का सबसे अच्छा समय जून से अगस्त और अक्टूबर से नवंबर है. परवल की खेती भारत के अधिकांश क्षेत्रों में की जाती है. इसके प्रमुख उत्पादक राज्यों की बात करें तो बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट्र में भी किसान साल में एक बार परवल की फसल लगाते हैं.

लौकी की खेती का तरीका

लौकी की फसल साल में तीन बार उगाई जाती है. लौकी की कटाई जायद, ख़रीफ़ और रबी मौसम में की जाती है. जायद की बुआई मध्य जनवरी से, ख़रीफ़ की खेती मध्य जून से प्रथम जुलाई तक तथा रबी लौकी की खेती सितम्बर के अंत से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक की जाती है. जायद की अगेती बुआई के लिए लौकी की नर्सरी जनवरी के मध्य में की जाती है. लौकी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी बुआई गर्मी और बरसात के मौसम में की जाती है. यह पाला सहन करने में पूर्णतया असमर्थ है. इसकी खेती अलग-अलग मौसम के अनुसार अलग-अलग जगहों पर की जाती है, लेकिन इसकी पैदावार शुष्क और अर्ध-शुष्क जैसे क्षेत्रों में अच्छी होती है. लौकी की खेती के लिए 30 डिग्री के आसपास का तापमान बहुत अच्छा होता है. इसके बीजों के जमाव के लिए 30-35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तथा पौधे के विकास के लिए 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त होता है.


 
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