राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. राजस्थान समेत कुल 5 राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है. इससे पहले राजस्थान की गहलोत सरकार ने बीते रोज विधानसभा में राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी अधिनियम 2023 को सर्वसम्मति से पारित किया है, जो कानून बनने के लिए हस्ताक्षर के इंतजार में अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, लेकिन विधानसभा में बिल पारित होने के साथ ही राजस्थान 125 दिन रोजगार गारंटी का प्रावधान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इसके साथ ही राजस्थान की गहलोत सरकार ने इसे महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना यानी MGMIGS के तौर पर प्रचारित करना शुरू कर दिया है.
कुल जमा इस विधेयक के पारित होते ही इसे मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना का न्यू वर्जन कहा जा रहा है. आइए समझते हैं कि ये विधयेक मनरेगा से कैसे अलग है और कैसे इस योजना के तहत 125 गांरटेड रोजगार की व्यवस्था की गई और नहीं होने पर बेरोजगारी भत्ता लाभार्थियों को दिया जाएगा.
राजस्थान सरकार की महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना यानी MGMIGS को समझाते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के फाउंडर मेंबर निखिल डे कहते हैं कि मनरेगा बेशक इस योजना को बनाने का मुख्य आधार है, लेकिन ये योजना मनरेगा से अलग है.
वह कहते हैं कि मनरेगा ग्रामीण आबादी को रोजगार देने की बात करती है, लेकिन रोजगार आय गारंटी योजना शहरी आबादी को भी रोजगार उपलब्ध कराने की बात करती है. जिसमें हमें यहां पर ये समझना होगा कि शहरों में रहने वाले ये आबादी भी वहीं है, जो गांव से रोजगार की तलाश में शहरों में पलायन कर चुकी है.
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साथ ही वह कहते हैं कि मनरेगा में 100 दिन गारंटी रोजगार देने की बात कहीं गई है, जबकि राजस्थान सरकार ने 125 दिन गारंटेड रोजगार यानी आय देने की बात कहीं है. वह समझाते हुए कहते हैं कि राजस्थान सरकार की ये योजना रोजगार की गारंटी के इतर इनकम सुनिश्चित करती है.
साथ ही वह इस योजना की अन्य खासियत बताते हुए कहते हैं कि जो लोग इस योजना के तहत रोजगार गांरटी का लाभ नहीं उठाते हैं तो उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए 1000 रुपये पेंशन की गांरटी की व्यवस्था में इस योजना के तहत की गई है. मसलन, अपरोक्ष रूप से उम्र या दिव्यांगता की वजह से खेती से दूरी बना चुके पुरुष और महिला किसान के लिए ये योजना पेंशन गारंटी की व्यवस्था करती है.
सूचना के अधिकार अधिनियिम, मनरेगा और खाद्य सुरक्षा जैसे कानूनों को लागू करवाने में अहम भूमिका निभा चुके मजदूर किसान शक्ति संगठन के फाउंडर मेंबर निखिल डे मानते हैं कि मनरेगा के तहत गांव स्तर पर रोजगार सृजन करना चुनौती है. राजस्थान में ही मनरेगा के तहत 100 में से औसत 43 दिन काम की व्यवस्था होने जैसे सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि गांव स्तर पर काम की व्यवस्था नहीं होने पर MGMIS में बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान किया गया है. मसलन, अगर राज्य 125 दिन गारंटेड रोजगार उपलब्ध कराने में असफल हाेता है, तो वह उसके बदले बेरोजगार भत्ता देगा.
देश के राजनीतिक विमर्श में इन दिनों राजनीतिक दलों की तरफ से फ्री देने की घोषणाओं को लेकर वैचारिक नूरा-कुश्ती जारी है. तो वहीं मनरेगा में खर्च होने वाली दिहाड़ी का 100 फीसदी केंद्र सरकार की तरफ से खर्च हाेता है तो ऐसे में राजस्थान सरकार की महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना को केंद्र सरकार के राजकोष पर बोझ बताया जा रहा है, लेकिन मजदूर किसान शक्ति संगठन के फाउंडर मेंबर निखिल डे इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. वह कहते हैं कि मनरेगा में 100 दिन रोजगार की व्यवस्था की गई है. तो वहीं मनरेगा में प्रावधान है कि राज्य सरकारें मनरेगा के तहत रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी कर सकती है. इसी कड़ी में कई राज्य सरकारों ने मनरेगा के तहत काम आवंटन के दिनों में बढ़ोतरी की है. राजस्थान सरकार का ये कानून 125 दिन गारंटेड रोजगार की बात करता है, जिसमें 100 दिन का काम का फंड मनरेगा के तहत आंवटित हो सकता है, जबकि 25 दिन के काम का पैसा राज्य सरकार की तरफ से वहन किया जाएगा.
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