जल संकट से घिरे मराठवाड़ा के जिले में खास पहल, गांववाले करेंगे पानी बचाने के तरीकों का प्रदर्शन! 

जल संकट से घिरे मराठवाड़ा के जिले में खास पहल, गांववाले करेंगे पानी बचाने के तरीकों का प्रदर्शन! 

धाराशिव, मराठवाड़ा का वह हिस्‍सा है जहां पर औद्योगिक विकास या तो बहुत कम है या फिर न के बराबर है. धाराशिव को पहले उस्मानाबाद के तौर पर जाना जाता था. यह महाराष्‍ट्र का वह हिस्‍सा है जहां पर हर तीन साल में सूखा पड़ता है. बारिश कम होने की वजह से किसानों को भूजल पर निर्भर रहना पड़ता है.

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जल संकट से घिरे मराठवाड़ा के जिले में खास पहल, गांववाले करेंगे पानी बचाने के तरीकों का प्रदर्शन! मराठवाड़ा के एक जिले में पानी बचाने की नई मुहिम

महाराष्‍ट्र का मराठावाड़ा क्षेत्र हमेशा से कृषि में मौजूद मौकों के साथ ही साथ चुनौतियों के लिए भी जाना गया है. यहां पर रहने वाले लोगों के लिए खेती ही आय का मुख्‍य स्‍त्रोत है और उनकी आय पर खतरा मंडराने लगा है. यूं तो यह क्षेत्र अक्‍सर ही सूखे के लिए जाना गया है लेकिन मराठवाड़ा के धाराशिव में गिरता जलस्‍तर पर अब किसानों के लिए बड़े संकट का इशारा कर रहा है. धाराशिव, मराठवाड़ा का वह हिस्‍सा है जहां पर औद्योगिक विकास या तो बहुत कम है या फिर न के बराबर है. अब यहां पर मिट्टी की सेहत खराब होने लगी है और खेती में उत्‍पादकता भी कम होती जा रही है. धाराशिव को बाहर से कोई पानी नहीं मिलता है. ऐसे में अधिकारी अब यहां मिलने वाले पानी का प्रयोग करने के तरीके खोजने में लग गए हैं.

हर तीन साल में पड़ता सूखा 

धाराशिव को पहले उस्मानाबाद के तौर पर जाना जाता था. यह महाराष्‍ट्र का वह हिस्‍सा है जहां पर हर तीन साल में सूखा पड़ता है. बारिश कम होने की वजह से किसानों को भूजल पर निर्भर रहना पड़ता है. अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस ने धाराशिव के जिला कृषि अधिकारी रवींद्र माने के हवाले से लिखा है, 'जिले में नहर प्रणाली बहुत खराब है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नदियां यहां से शुरू होती हैं और कहीं और बहती हैं. कोई भी नदी बाहर से पानी लेकर नहीं आती है.' उन्‍होंने बताया कि धाराशिव की तुलना में सोलापुर को, जहां इस क्षेत्र में सबसे कम बारिश होती है नहर प्रणालियों के जरिये पुणे के उजानी बांध से पानी मिलता है.

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734 गांव का लक्ष्‍य 

धाराशिव जिस तरह से जल संकट का सामना करता है, वह भारत के बाकी हिस्सों के लिए एक सबक हो सकता है. इस तरह की ही एक पहल में धाराशिव के 734 गांवों को अपने जल प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बुलाया जा रहा है. इस प्रतियोगिता के बाद सबसे अच्‍छी प्रथाओं को एक नॉलेज बैंक तैयार किया जा रहा जिसे राज्य और यहां तक ​​कि देश के बाकी गांव भी अपना सकते हैं. इस प्रतियोगिता में गांवों को 100 में से नंबर दिए जाएंगे. यह प्रतियोगिता धाराशिव जिला प्रशासन, महाराष्‍ट्र सरकार के जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग के साथ पुणे स्थित संगठन वाटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट्रस्ट (WOTR) की तरफ से आयोजित की जा रही है. 

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140 गांव होंगे शामिल

टॉप  के तीन विजेता गांवों को 5 लाख, 3 लाख और 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा. 140 से ज्‍यादा गांवों के ग्राम पंचायत सरपंच और ग्राम सेवक पहले ही रजिस्‍ट्रेशन करा चुके हैं. धाराशिव जिला परिषद के सीईओ मैनाक घोष की माने तो अभ्यास के बाद अगर कुछ अच्छे इनोवेशन और स्वदेशी सॉल्‍यूशंस मिलते हैं जो ग्राउंड वॉटर के लेवल से लेकर स्वच्छता और जल आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार के लिए विकसित किए जा सकते हैं, तो उनका प्रचार किया जाएगा. प्रतियोगिता की घोषणा चार फरवरी को की गई थी जिसमें गांवों के लिए सेल्‍फ नॉमिनेशन करने की अंतिम तिथि 15 अप्रैल थी. 

 

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