किसानों का दुख, ग्रामीणों का दर्द: सिसकती सच्चाई बन गई है जहरीली नदी!

किसानों का दुख, ग्रामीणों का दर्द: सिसकती सच्चाई बन गई है जहरीली नदी!

हरित क्षेत्र की हिंडन नदी अब जीवनदायिनी नहीं, बल्कि मौत का पैगाम लाती है. इसकी वजह से किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है, प्रदूषित पानी पीने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है. जिससे ग्रामीण कैंसर, लीवर की समस्याएं, त्वचा संक्रमण, पीलिया, दांतों की बीमारियां और गुर्दे की पथरी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. नदी का पानी पीने से पशु पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं.

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किसानों का दुख, ग्रामीणों का दर्द: सिसकती सच्चाई बन गई है जहरीली नदी!हिंडन नदी का पानी जहरीला हो गया है

शिवालिक पर्वतमाला में शाकुंभरी देवी क्षेत्र से निकलने वाली हिंडन नदी सुर्खियों में है. यह नदी गंगा और यमुना नदियों के लगभग समानांतर 400 किलोमीटर बहती है, जो कभी क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी थी. आज वह एक जहरीली धारा में तब्दील हो गई है क्योंकि औद्योगिक कचरे और सीवेज के कारण गंभीर प्रदूषण का शिकार है. मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत और गाजियाबाद जैसे शहरों से गुजरते हुए, यह नदी नोएडा में यमुना में मिलती है, लेकिन इस यात्रा में यह जीवनदायिनी नहीं, बल्कि मौत का पैगाम लाती है. 

इसकी वजह से किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है. प्रदूषित पानी पीने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है जिससे ग्रामीण कैंसर, लीवर की समस्याएं, त्वचा संक्रमण, पीलिया, दांतों की बीमारियां और गुर्दे की पथरी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. नदी के पानी पीने से पशु पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं.

किसानों की पीड़ा: जीवन और खेती खतरे में

सहारनपुर के गांव नंदी फिरोजपुर के रहने वाले पद्मश्री किसान सेठपाल ने बताया कि किसान इस नदी के प्रदूषण से त्रस्त हैं. उनके अनुसार, औद्योगिक कचरे के कारण नदी का पानी इतना जहरीला हो गया है कि यह न केवल पीने के लिए बेकार है, बल्कि सिंचाई के लिए भी हानिकारक है. प्रदूषित पानी के कारण भूजल में भी हानिकारक तत्व पहुंच रहे हैं, जिससे ग्रामीण कैंसर, लीवर की समस्याएं, त्वचा संक्रमण, पीलिया, दांतों की बीमारियां और गुर्दे की पथरी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. 

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मुजफ्फरनगर के रनियाला दयालपुर के किसान सत्यपाल सैनी ने हिंडन नदी के प्रदूषण की भयावहता को उजागर  करते हुए बताया कि नदी में औद्योगिक कचरे के बहाव से आस-पास के गांवों के नलकूपों के पानी में दुर्गंध आ रही है, और नदी के किनारे से गुजरना भी मुश्किल हो गया है. इस प्रदूषण का असर भूजल पर भी पड़ रहा है, जिससे खेती और जीवन दोनों खतरे में है. किसानों ने कई बार प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा कि हिंडन नदी में औद्योगिक कचरे के बहाव से पानी प्रदूषित हो रहा है. 

आस-पास के गांवों के नलकूपों के पानी में दुर्गंध आ रही है. नदी के किनारे से गुजरना भी मुश्किल हो गया है. प्रदूषण का असर भूजल पर भी पड़ रहा है. प्रदूषण से खेती और जीवन दोनों खतरे में हैं. किसानों ने कई बार प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. हिंडन नदी के प्रदूषण की समस्या एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

सरकारी रिपोर्ट में जल प्रदूषण की भयावहता उजागर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, हिंडन नदी में प्रतिदिन 357 उद्योगों से 72,170 किलोलीटर औद्योगिक अपशिष्ट और 943 मिलियन लीटर घरेलू सीवेज बहाया जा रहा है. इनमें से 2.20 करोड़ लीटर से अधिक औद्योगिक कचरा बिना उपचार के नदी में डाला जा रहा है. नदी के पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) का स्तर 2015 में 24-80 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 2022 में 54-126 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है. 

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अधिकांश हिस्सों में घुलित ऑक्सीजन का स्तर शून्य तक पहुंच गया है, जो जलीय जीवन के लिए घातक है. शिमलाना मऊ गांव में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है, जहां पिछले एक दशक में 100 से अधिक कैंसर से मौतें दर्ज की गई हैं. यहां कैंसर की दर राष्ट्रीय औसत से कई गुना अधिक है. पर्यावरणीय अध्ययनों में नदी के पानी में सीसा, कैडमियम और क्रोमियम जैसी भारी धातुओं की चिंताजनक मात्रा पाई गई है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं.

कैसे दूर होगी ये समस्या?

हिंडन नदी के प्रदूषण को रोकने के की जरूरत है क्योंकि यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जरूरी  है. औद्योगिक इकाइयों को अपने कचरे का उचित उपचार करना चाहिए और नदी में बहाने से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है.

 

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