लीफ कलर चार्ट: फसल को सही समय पर खाद देने का वैज्ञानिक तरीका, लागत भी घटेगी और उत्पादन भी बढ़ेगा

लीफ कलर चार्ट: फसल को सही समय पर खाद देने का वैज्ञानिक तरीका, लागत भी घटेगी और उत्पादन भी बढ़ेगा

किसानों के सामने बड़ा सवाल यह है कि फसल को कितनी खाद की जरूरत होगी. उनके लिए कोई तकनीक नहीं है. लेकिन इस समस्या का समाधान लीफ कलर चार्ट (LCC) के माध्यम से किया जा सकता है. रबी सीजन में किसान गेहूं की फसल में दी जाने वाली यूरिया की जरूरी मात्रा का सही आकलन कर सकते हैं.

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लीफ कलर चार्ट: फसल को सही समय पर खाद देने का वैज्ञानिक तरीका, लागत भी घटेगी और उत्पादन भी बढ़ेगासीएलसी तकनीक से गेहूं की फसल में करें यूरिया का प्रयोग

परंपरागत तरीकों से खादों का प्रयोग अक्सर अनुमान के आधार पर किया जाता है, जिससे या तो अधिक खाद पड़ जाती है या जरूरत से कम. लेकिन अब किसानों के लिए एक वैज्ञानिक उपकरण बनकर उभरा है जिसका नाम है लीफ कलर चार्ट (LCC). इसके ज़रिए किसान यह पहचान सकते हैं कि उनकी फसल को कितनी नाइट्रोजन की जरूरत है और कब देनी है.

लीफ कलर चार्ट प्लास्टिक का एक छोटा सा चार्ट होता है, जिसमें अलग-अलग हरे रंग के शेड्स होते हैं. इसे खासतौर पर धान, मक्का और गेहूं जैसी फसलों के लिए विकसित किया गया है. किसान फसल के पत्तों के रंग की तुलना चार्ट से करते हैं और पता लगाते हैं कि पौधों में नाइट्रोजन की कमी है या नहीं.

LCC का उपयोग

फसलों में लीफ कलर चार्ट का उपयोग करने के लिए मक्का, धान, गेहूं सबसे पहले कम से कम 10 ऐसे पौधों का चयन करें, जो रोगों और कीटों से मुक्त हों और जिनकी पत्तियां पूरी तरह से खुली हों. सुबह (8-10 बजे के बीच) लीफ कलर चार्ट का उपयोग करने का प्रयास करें और यह भी सुनिश्चित करें कि देखते समय सीधी धूप पत्तियों पर न पड़े. अन्यथा पत्ती का रंग पत्ती के रंग चार्ट से मेल नहीं खाता. किसी भी प्रकार की त्रुटि को रोकने के लिए कोशिश ये होनी चाहिए कि एक ही व्यक्ति लीफ कलर चार्ट से पत्तियों के रंग को मिलाए. 

कैसे करता है काम?

  • चार्ट में 4 से 6 हरे रंग के शेड होते हैं.
  • किसान सप्ताह में एक बार फसल के ऊपरी हिस्से के 10 पत्तों को चुनकर उनके रंग की तुलना चार्ट से करते हैं.
  • यदि पत्ते का रंग चार्ट के मानक रंग से हल्का हो, तो इसका मतलब है कि फसल में नाइट्रोजन की कमी है और उर्वरक देने की जरूरत है.

क्यों है फायदेमंद?

  • उर्वरक की बचत: अनावश्यक नाइट्रोजन डालने से बचाव होता है.
  • लागत में कमी: कम उर्वरक उपयोग से खर्च घटता है.
  • उत्पादन में वृद्धि: पौधे स्वस्थ रहते हैं और पैदावार बढ़ती है.
  • पर्यावरण संरक्षण: अधिक उर्वरक से होने वाले जल और मिट्टी के प्रदूषण में कमी आती है.

किस फसल में कितना उपयोगी?

  • धान की खेती में LCC सबसे अधिक उपयोगी माना गया है.
  • यह उपकरण खासकर उन क्षेत्रों में असरदार है जहां यूरिया का अत्यधिक प्रयोग होता है.
  • कई राज्यों में कृषि विश्वविद्यालय और विभाग किसानों को फ्री या रियायती दरों पर LCC उपलब्ध करा रहे हैं.

लीफ कलर चार्ट के उपयोग के समय कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखना जरूरी है. जैसे, फसल में लीफ कलर चार्ट से मिलान करने वाली पत्तियां पूरी तरह से रोगमुक्त होनी चाहिए. पत्ती के रंग का मिलान करते समय लीफ कलर चार्ट को शरीर के छाया में रखना चाहिए और पत्ती के मध्य भाग को चार्ट के ऊपर रख कर मिलान करना चाहिए. पत्ती का चार्ट से मिलान करते समय सूर्य की रोशनी चार्ट पर नहीं पड़नी चाहिए.

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