केरल के कृषि विभाग ने पूरे राज्य में डिजिटल क्रॉप सर्वे की तैयारी शुरू कर दी है. इसका मकसद किसानों, कृषि भूमि और फसलों से जुड़क लेटेस्ट और अपडेटेड डेटा मुहैया कराना है. इस सर्वे के लिए चुने गए सर्वेक्षक अपने-अपने अलॉटेड खेतों का दौरा करेंगे. ये अधिकारी वहां से जानकारी जुटाएंगे, जगह की जियो-टैगिंग करेंगे और उसकी फोटो भी लेंगे. यह सर्वे केंद्रीय क्षेत्र योजना का हिस्सा है. इस प्रक्रिया से तैयार होने वाला डेटाबेस राज्य के कृषि विभाग को नई योजनाओं की बेहतर ढंग से योजना बनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने में मदद करेगा.
रेवेन्यू रिकॉर्ड के आधार पर की जाने वाली यह डेटा-कलेक्शन प्रक्रिया यह जांचती है कि कोई खास जमीन खेती के अधीन है, परती पड़ा है या गैर-कृषि भूमि है. सर्वे में फसलों के प्रकार और सिंचाई की स्थिति से जुड़ी जानकारी भी दर्ज की जाती है. सभी डेटा एक मोबाइल ऐप के माध्यम से अपलोड किया जाता है. यह सर्वे वर्ष में दो बार, खरीफ और रबी मौसम के दौरान किया जाता है.
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे इस फसल सर्वे में पूरा सहयोग करें. विभाग का कहना है कि डिजिटल सर्वे से किसानों को मिलने वाले सरकारी लाभों की प्रक्रिया और भी तेज, पारदर्शी और तकनीक-आधारित हो जाएगी. राज्य सरकार उम्मीद कर रही है कि इस पहल से कृषि क्षेत्र में सटीक डेटा प्रबंधन, नीतियों की बेहतर निगरानी और कृषि उत्पादन में सुधार संभव होगा.
सर्वे प्रक्रिया के दौरान एकत्र किया गया डेटा रेवेन्यू रिकॉर्ड के आधार पर जांचा जाएगा ताकि यह पता चल सके कि कोई जमीन खेती के अंतर्गत है, परती पड़ी है या गैर-कृषि भूमि है. फसल के प्रकार और सिंचाई की स्थिति से संबंधित जानकारी भी दर्ज की जाएगी. यह सभी जानकारी मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटल रूप में अपलोड की जाएगी. इस डिजिटल डेटाबेस से किसानों को कई केंद्रीय योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा, जैसे-
डिजिटल क्रॉप सर्वे एक मॉर्डन टेक्निकल प्रॉसेस है. इसके जरिए सरकार किसानों, उनकी खेती वाली जमीन और फसलों से जुड़ा सटीक और अपडेटेड डेटा डिजिटल कलेक्ट करती है. इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार के पास हर किसान और उसकी फसल की सही जानकारी हो. इससे नीतियों को बेहतर तरीके से बनाने और लागू करने में सुविधा होती हे.
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