Trade Deal: झुकेगा नहीं! सोया और मक्‍का पर फिर अड़ा अमेरिका, भारत भी मजबूती से है डटा  

Trade Deal: झुकेगा नहीं! सोया और मक्‍का पर फिर अड़ा अमेरिका, भारत भी मजबूती से है डटा  

भारत ने एक बार फिर अमेरिका के दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है. सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि सोया और मक्‍का को लेकर जोरदार लॉबिंग अमेरिका में खेती के गंभीर संकट की वजह से हो रही है. इस गंभीर संकट के तहत बड़े पैमाने पर उत्पादन में बढ़ोतरी, वित्तीय दबाव और अनाज के गोदामों का भरा होना शामिल है.

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Trade Deal: झुकेगा नहीं! सोया और मक्‍का पर फिर अड़ा अमेरिका, भारत भी मजबूती से है डटा  

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर एक बार फिर खबरों का बाजार गर्म हो चुका है. एक बार फिर दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं. पिछले हफ्ते अमेरिका से एक हाई लेवल डेलीगेशन भारत आया था. इस ट्रेड डेलीगेशन ने भारत पर दबाव बनाए रखा कि वह बातचीत के तहत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के हिस्से के तौर पर अमेरिकी सोया और मक्का को मंजूरी दे, भले ही भारत को इन फसलों के जेनेटिकली मॉडिफाइड होने को लेकर लाख चिंताएं हों. 

भारत ने किया साफ इनकार 

बताया जा रहा है कि भारत ने एक बार फिर अमेरिका के दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है. सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि सोया और मक्‍का को लेकर जोरदार लॉबिंग अमेरिका में खेती के गंभीर संकट की वजह से हो रही है. इस गंभीर संकट के तहत बड़े पैमाने पर उत्पादन में बढ़ोतरी, वित्तीय दबाव और अनाज के गोदामों का भरा होना शामिल है. भारत ने अमेरिका को स्‍पष्‍ट कर दिया है कि अमेरिकी फार्म और डेयरी प्रोडक्ट्स को मार्केट एक्सेस हरगिज नहीं मिलेगा. 

क्‍यों अड़ा है अमेरिका 

इस मामले पर नजर रखने वाले एक सूत्र के हवाले से अखबार बिजनेसलाइन ने बताया, 'अमेरिकी किसान बंपर फसल, चीन के साथ व्यापारिक टकराव से ग्लोबल मार्केट में रुकावट और ब्राजील जैसे देशों से मुकाबले से जूझ रहे हैं. ट्रंप प्रशासन भारत को 'MAGA' किसानों को खुश करने के लिए एक बड़े, अहम वैकल्पिक बाज़ाजार के तौर पर देखता है. इसी वजह से अमेरिकी प्रतिनिधि अपने मक्का और सोया के साथ-साथ दूसरे कृषि उत्पादों के लिए बाजार तक ज्‍यादा पहुंच की मांग पर अड़े हुए हैं.' 

कई बार समझाया अमेरिका को 

भारत की तरफ से अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका का बार-बार बताया गया है कि वह उस देश से सोया और मक्का नहीं खरीद सकता क्योंकि भारत में जीएम फसलों पर बैन है. सूत्रों की मानें तो भारत के लिए नॉन-जीएम सोया और मक्का खरीदना भी मुश्किल है जो कुल अमेरिकी उत्पादन का एक छोटा सा हिस्सा है क्योंकि इनका ठीक से बंटवारा नहीं होता. यह भारत के लिए एक रेड लाइन बनी रहेगी क्योंकि वह सिर्फ नॉन-जीएम किस्म ही खरीद सकता है.

अमेरिका के डिप्‍टी ट्रेड रिप्रजेंटेटिव (USTR) रिक स्विट्जर के नेतृत्व में एक डेलीगेशन जिसमें अमेरिकी मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच भी शामिल थे. पिछले हफ्ते नई दिल्ली आया था. उन्होंने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल और भारत के चीफ नेगोशिएटर दर्पण जैन के साथ डील में आ रही अड़चनों पर चर्चा की. इसमें सोया, मक्का, मांस और इससे जुड़े प्रॉडक्‍ट्स तक पहुंच शामिल है.  

क्या है जीएम फसल पॉलिसी 

भारत की जीएम फसल नीति बहुत सख्त है, जिसमें पिछले दो दशकों से ज्‍यादा समय से बीटी कॉटन ही कमर्शियल खेती के लिए एकमात्र मंजूर जीएम फसल है. हेल्‍थ और सिक्‍योरिटी, जीन फ्लो से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम, सुपरवीड्स, बायोडायवर्सिटी का नुकसान और मधुमक्खियों जैसे पॉलिनेटर्स पर असर, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और रेगुलेटरी मुद्दों जैसे कई आधारों पर चिंताएं हैं.

सूत्र ने बताया, 'अमेरिका के लगातार दबाव के कारण, जानवरों के चारे के लिए सोयामील और मक्का के आयात की अनुमति देने के बारे में कुछ सुझाव दिए गए थे लेकिन इसे पर्याप्त  समर्थन नहीं मिला क्योंकि फूड चेन के दूषित होने, किसानों को नुकसान पहुंचने और ईयू जैसे बाजारों में निर्यात की संभावनाओं पर असर पड़ने का डर है.'

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