हमारे देश में अंडे का उत्पादन सालाना 130 बिलियन पर पहुंच गया है. साल 2021-22 में अंडा उत्पादन में 750 करोड़ अंडों की वृद्धि हुई है. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक हर साल छह से सात फीसद की दर से देश में अंडा उत्पा दन बढ़ रहा है. डेयरी-पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्रति व्यक्ति के हिस्सें में बीते साल 95 अंडे आए थे. हमारे देश में चिकन के साथ ही अंडा भी खूब खाया और बेचा जाता है. अगर आप भी अंडे के लिए पोल्ट्री फार्म शुरू करने की सोच रहे हैं तो पहले यह जान लेना जरूरी है कि किस नस्ल की मुर्गी एक साल में कितना अंडा देती है और किस मुर्गी के अंडे की बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड है.
देश में 26 करोड़ मुर्गियां अंडों की डिमांड को पूरा करती हैं. देसी मुर्गियों का अंडा सबसे ज्यादा महंगा बिकता है. कुछ मुर्गियां कम अंडा देती हैं तो कुछ ज्यादा. प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए डॉक्टर अंडे को बेहतर विकल्प बताते हैं. अंडा वेज है या नॉनवेज इस लड़ाई के बीच इसे पंक्षी फल भी कहा जाता है.
ये भी पढ़ें- Egg Expiry Date: अब बिना तोड़े करें पता अंडा खराब है या सही? ऐसे चेक होगी एक्सपायरी डेट
वैसे तो सभी नस्ल की मुर्गियां अंडे देती हैं. लेकिन लेअर बर्ड जिसे कृषि लेअर भी कहा जाता है साल में सबसे ज्यादा अंडे देने वाली मुर्गी है. यह मुर्गी एक साल में 280 से लेकर 290 तक अंडे देती है. छोटे-बड़े हर तरह के पोल्ट्री फार्म में भी इसी मुर्गी को अंडों के लिए पाला जाता है. रिटेल मार्केट में आज इसका एक अंडा छह रुपये से लेकर 6.5 रुपये तक का बिक रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मुर्गी का चूजा यानि चिक्स बेचती हैं. बाजार के हिसाब से आजकल इसके एक चूजे का रेट 40 से 45 रुपये तक है. असील नस्लस की मुर्गी सबसे कम एक साल में 60 से 70 अंडे देती हैं.
ये भी पढ़ें- यूपी सरकार बोली अब बिना एसी गाड़ी के अंडा नहीं होगा ट्रांसपोर्ट, पढ़ें पूरी डिटेल
लेअर बर्ड के अलावा और अंडे देने वाली जो मुर्गियों की नस्ल हैं उन्हें देसी मुर्गी भी कहा जाता है. देसी मुर्गियों की 8 ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं. जैसे वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे देती है. इसके अलावा ग्रामप्रिया 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 अंडे देती है. असील मुर्गियों की एक ऐसी नस्ल है जो सालभर में 60 से 70 अंडे देती है.
देशी मुर्गे-मुर्गी में असील एक खास नस्ल है. हालांकि देशी में कड़कनाथ, वनश्री, निकोबरी, वनराजा, घागुस और श्रीहिंदी भी है. लेकिन असील की अपनी एक खास पहचान है. महंगा होने के चलते बैकयार्ड पोल्ट्री के तहत यह पाले जाते हैं. इसका मीट बहुत कम खाया जाता है. लेकिन अंडे की डिमांड ज्यादा रहती है. सर्दियों में इसका अंडा 100 रुपये तक का बिक रहा है. दवाई के तौर पर भी असील का अंडा खाया जाता है. बाकी डिमांड के हिसाब से मुर्गी वाला जो मांग ले. हैचरी के लिए सरकारी केन्द्रों से ही असील मुर्गी का अंडा 50 रुपये तक का मिलता है. असील मुर्गी पूरे साल में सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today