प्रयागराज में बागवानी और निर्यात से मुनाफा कमाते किसान, जानें आखिर कैसे हुआ चमत्‍कार

प्रयागराज में बागवानी और निर्यात से मुनाफा कमाते किसान, जानें आखिर कैसे हुआ चमत्‍कार

पॉलीहाउस और नेट हाउस जैसी आधुनिक संरक्षित खेती तकनीकें प्रयागराज के बागवानी क्षेत्र को बदल रही हैं. ‘टॉप सीक्रेट’ गुलाब और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों के जरिए किसान अपनी आय बढ़ा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात कर रहे हैं.

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प्रयागराज में बागवानी और निर्यात से मुनाफा कमाते किसान, जानें आखिर कैसे हुआ चमत्‍कार प्रयागराज में किसानों ने किया कमाल

पॉलीहाउस और नेट हाउस जैसी आधुनिक कृषि तकनीकें तेजी से गंगा किनारे बसे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के बागवानी क्षेत्र को बदल रही हैं. इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है और यह जिला फूलों के निर्यात के लिए एक उभरता हुआ केंद्र बनता जा रहा है. जिले के अधिकारियों के अनुसार, ये प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन या संरक्षित खेती की तकनीकें प्रीमियम गुणवत्ता वाले फूलों का उत्पादन संभव बना रही हैं. स्थानीय रूप से लोकप्रिय ‘टॉप सीक्रेट’ गुलाब और डेजी फूल के उत्‍पादन में इजाफा हुआ है. ये फूल तो अब रूस और मिडिल ईस्‍ट के बाजारों में भी निर्यात किए जा रहे हैं.

किसानों को मिल रही सब्सिडी भी 

अखबार हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स ने प्रयागराज के जिला बागवानी अधिकारी सौरभ श्रीवास्‍तव के हवाले से लिखा, 'पिछले साल हमने हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट मिशन के तहत छह पॉलीहाउस और दो नेट हाउस की स्थापना में मदद की जिसमें किसानों को 50 फीसदी सरकारी सब्सिडी मिली. नए स्थापित ढांचों में से चार पॉलीहाउस फ्लोरिकल्चर के लिए समर्पित हैं, जबकि दो नेट हाउस ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयोग किए जा रहे हैं.

अधिकारियों का कहना है कि यह पहल न सिर्फ किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि जिले की निर्यात क्षमता को भी बढ़ा रही है. इससे प्रयागराज स्थायी और हाई-टेक कृषि अपनाने वाले अन्य क्षेत्रों के लिए एक मॉडल बन रहा है.जिले भर के किसान अनियमित मौसम की चुनौतियों का समाधान खोजते हुए संरक्षित खेती (प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन) को तेजी से अपना रहे हैं. पारंपरिक खुले खेत की खेती के विपरीत, पॉलीहाउस और नेट हाउस एक नियंत्रित वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे निरंतर पैदावार और अधिक लाभ सुनिश्चित होते हैं.

विदेश से लौटकर किया कमाल 

इस पहल का एक खास उदाहरण मेजा के ट्रांस-यमुना क्षेत्र के हरवारी लाखापुर गांव के किसान जिज्ञासु मिश्रा हैं. वह पहले एक ऑयल कंपनी के कर्मचारी रहे और विदेश में 12 साल के अनुभव के बाद दो साल पहले ही भारत लौटे हैं. यहां पर आकर उन्‍होंने पॉलीहाउस फ्लोरिकल्चर को अपनाया. इसके साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में अपने वैश्विक अनुभव का लाभ उठाकर निर्यात के बारे में पूरी तरह से समझा. बागवानी विभाग की सहायता से उन्होंने चार पॉलीहाउस और एक नेट हाउस स्थापित किए हैं. इनमें से तीन पॉलीहाउस 'टॉप सीक्रेट' गुलाब उगाने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं, जो उच्च मांग वाली किस्म है और इसके जरिए उन्हें लाभकारी अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच मिली है.

टॉप सीक्रेट गुलाब की खासियत 

मिश्रा के अनुसार मध्य दिसंबर से मध्य फरवरी तक यानी पीक सीजन में हम वह डीलर्स के जरिये करीब 80,000 गुलाब की काड़ियों की बिक्री करते हैं. प्रत्येक काड़ी 40 से 45 रुपये में बिकती है. इसे कुवैत, ओमान, कतर और रूस जैसे देशों में निर्यात किया जाता है. 'टॉप सीक्रेट' गुलाब एक प्रीमियम रेड डच किस्म का गुलाब है. इसकी लंबी डंठल, लंबी शेल्फ लाइफ और गहरी मखमली पंखुड़ियां इसे और खास बना देती हैं. यह किस्‍म विशिष्ट क्वार्टर शेप में खिलती हैं. इसे 'ताज महल’ गुलाब के नाम से भी जाना जाता है और यह खासतौर पर कपल्‍स के बीच काफी पॉपुलर है. साथ ही विदेशों में यह फूलों के पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा है. 

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