किसान कॉल सेंटर कर रहे किसानों की मदद (AI Generated Image)देश के किसानों को खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी एक ही नंबर पर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार किसान कॉल सेंटर व्यवस्था को लगातार मजबूत कर रही है. किसान कॉल सेंटर यानी KCC अब केवल एक हेल्पलाइन नहीं रह गया है, बल्कि यह किसानों के लिए कृषि सलाह, सरकारी योजनाओं की जानकारी और समस्याओं के समाधान का भरोसेमंद मंच बन चुका है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने चालू संसद सत्र के दौरान लोकसभा में लिखित जवाब में इसे लेकर विस्तार से जानकारी दी है.
केंद्रीय मंत्री ने सदन में बताया है कि किसान कॉल सेंटर पर आने वाली हर कॉल को तय समय में उठाने का प्रावधान है. अगर लाइन खाली होती है तो किसान की कॉल चार रिंग के भीतर रिसीव कर ली जाती है. अगर कॉल क्यू में चली जाती है तो किसान को IVR सिस्टम के जरिए उसकी बारी, अनुमानित प्रतीक्षा समय और मौसम या मौसम के अनुसार जरूरी कृषि सलाह सुनाई जाती है. इससे किसान को इंतजार के दौरान भी उपयोगी जानकारी मिलती रहती है.
किसानों की सुविधा के लिए वॉइस मेल सिस्टम की व्यवस्था भी की गई है. अगर सभी लाइनें व्यस्त हों और किसान इंतजार नहीं करना चाहता तो वह दो मिनट तक का वॉइस मैसेज रिकॉर्ड कर सकता है. इस मैसेज में किसान अपनी समस्या और संपर्क नंबर दर्ज करता है. बाद में फार्म टेली एडवाइजर या सुपरवाइजर किसानों को कॉल बैक कर उनकी समस्या का समाधान करते हैं. कम कॉल वाले समय में ऐसे मामलों को प्राथमिकता दी जाती है.
केंद्रीय मंत्री की ओर से जारी बयान के मुताबिक, किसान कॉल सेंटर देश के हर क्षेत्र को कवर कर रहे हैं और स्थानीय भाषाओं में सेवाएं दे रहे हैं, ताकि भाषा कभी भी किसानों के लिए बाधा न बने. देश के अलग-अलग हिस्सों में बने किसान कॉल सेंटर से एक या उससे ज्यादा भाषाओं में काम कर रहे हैं.
किसान कॉल सेंटर पर किसानों के सवालों का जवाब कृषि और संबद्ध विषयों में प्रशिक्षित स्नातक फार्म टेली एडवाइजर देते हैं. जो सवाल यहां हल नहीं हो पाते, उन्हें राज्य कृषि विभाग, ICAR संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों तक भेजा जाता है.
सरकार अब किसान कॉल सेंटर को और प्रभावी बनाने के लिए वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए शिकायत दर्ज कराने की सुविधा को मजबूत कर रही है. साथ ही AI और मशीन लर्निंग आधारित टूल्स को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि किसानों को तेज और सटीक समाधान मिल सके.
सरकार ने यह भी बताया है कि पिछले तीन वर्षों में किसान कॉल सेंटर की सेवाओं और गुणवत्ता का आकलन करने के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी से मूल्यांकन कराया जा रहा है, जिससे इस व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके.
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