 होर्टीरोड2इंडिया का ब्लूप्रिन्ट
होर्टीरोड2इंडिया का ब्लूप्रिन्टभारत की खेती अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां तकनीक, नवाचार और साझेदारी मिलकर किसानों का भविष्य बदल रहे हैं. इसी दिशा में होर्टीरोड2इंडिया ने भारत और नीदरलैंड्स की साझेदारी से एक खास पहल शुरू की है. इस पहल का उद्देश्य है- खेती को अधिक आधुनिक, स्थायी और लाभदायक बनाना. नई तकनीक, बेहतर ट्रेनिंग और स्मार्ट समाधान के ज़रिए अब भारतीय किसान फसल उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरण की सुरक्षा – दोनों में आगे बढ़ सकेंगे.
नई दिल्ली में आयोजित ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ-साथ, होर्टीरोड2इंडिया की टीम ने बैंगलुरू और चंडीगढ़ में भी किसानों, विशेषज्ञों और मीडिया से मुलाकात की. बैंगलुरू में “फार्म-टू-टेबल डिनर” का आयोजन हुआ, जिसमें लोगों ने स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ स्थायी बागवानी के बारे में सीखा. वहीं पंजाब में, जो देश का “अन्न भंडार” कहलाता है, टीम ने स्थानीय हितधारकों से मुलाकात की और खेती में गुणवत्ता व उत्पादकता बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की.
पिछले तीन सालों में होर्टीरोड2इंडिया की टीम ने सैकड़ों किसानों और संगठनों से बातचीत की.
उन्होंने भारतीय कृषि की प्रमुख चुनौतियों जैसे-
इन्हीं समस्याओं के समाधान के रूप में एक समग्र ब्लूप्रिन्ट तैयार किया गया है, जिसमें आधुनिक ग्रीनहाउस तकनीक, मार्केट से जुड़ाव, प्रशिक्षण और शिक्षा, तथा दीर्घकालिक फाइनेंसिंग शामिल हैं.
होर्टीरोड2इंडिया भारतीय और डच स्टार्ट-अप्स और इनोवेटर्स के बीच सहयोग को प्रोत्साहित कर रहा है.
इससे नई तकनीकें विकसित होंगी, स्थानीय उत्पादन यूनिट्स बनेंगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और उत्पादन लागत घटेगी.
किसानों, रिटेलरों, शेफ और उपभोक्ताओं के लिए समाधान तैयार किए जा रहे हैं ताकि सभी को सुरक्षित और स्थायी खाद्य विकल्प मिल सकें.
होर्टीरोड2इंडिया की प्रोजेक्ट मैनेजर मिस टिफेनी मेजर ने कहा – “हम भारतीय महत्वाकांक्षाओं और डच इनोवेशन के मेल से खाद्य सुरक्षा, समावेशी विकास और जलवायु-स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देना चाहते हैं.”
सम्मेलन के अंत में यह संदेश दिया गया कि भविष्य का भोजन हरित, सुरक्षित और सहयोगपूर्ण होगा, जहां नवाचार और साझेदारी मिलकर एक सशक्त कृषि प्रणाली बनाएंगे.
एनएल होर्टीरोड2इंडिया की यह पहल भारत की कृषि को तकनीक, स्थिरता और वैश्विक सहयोग के रास्ते पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह न सिर्फ किसानों की जिंदगी बदलेगी, बल्कि देश को एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और हरित खाद्य भविष्य की ओर अग्रसर करेगी.
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