खनन माफिया से करोड़ों का नुकसान किसान भी परेशानउत्तराखण्ड सरकार भले ही अवैध खनन पर सख्ती के बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों पर सवाल खड़े करती है. उत्त्तराखंड खनन विभाग के अनुसार राज्य में खनन गतिविधियां मुख्य रूप से दो श्रेणियों में संचालित होती हैं. पहली, नदी तल खनन (River-bed mining), जिसके तहत नदियों से बालू, रेत और गिट्टी का निष्कर्षण किया जाता है. दूसरी, इन-सीटू ओपन कास्ट माइनिंग (In-situ open cast mining), जिसमें पहाड़ी और स्थलीय क्षेत्रों से सीधे खनिजों का खनन होता है, जैसे सोपस्टोन, मैग्नेसाइट और सिलिका सैंड. उत्तराखंड खनन विभाग के मुताबिक राज्य में प्रमुख खनिजों में मैग्नेसाइट, लाइमस्टोन और अन्य माइनर मिनरल्स शामिल हैं.
खनिज ढुलाई की निगरानी के लिए सरकार ने MDTSS और ई-रवन्ना जैसे डिजिटल सिस्टम लागू किए हैं, जिनके जरिए ट्रकों की ट्रैकिंग होती है, हालांकि ट्रकों की कुल संख्या का डेटा फिलहाल सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. उत्त्तराखंड खनन विभाग के अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम भी खनन के पट्टों को अलॉट करने के लिए बिडिंग के माध्यम का आंमत्रण देती है. इसके साथ ही उत्तराखंड में खनन का बहुत बड़ा नेटवर्क है जिसमें हजारों ट्रक की मदद से कई सैंकड़ों क्रेशरों के साथ करीब 50 लाख टन सालाना का सरकार खनिज को निकाल कर राजस्व इकट्ठा करती है. इसके बावजूद अवैध खनन से नदियों के सीने छलनी हैं, पहाड़ों से रातों-रात खनिज गायब हो रहे हैं और प्रशासनिक कार्रवाई अक्सर कागजों तक सिमटी नजर आती है.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस साल के मानसून सत्र में प्रदेश में हो रहे अवैध खनन का मुद्दा उठाया था और अभी हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में संचालित अवैध स्टोन क्रशर के मामले में कड़ा रुख अपनाया है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह स्टोन क्रशर हाथियों के महत्वपूर्ण एलीफेंट कॉरिडोर के भीतर बनाया गया है. गंभीर उल्लंघन को देखते हुए राज्य सरकार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है. वहीं, पूरे मामले पर वन विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में है. इस बीच सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही सरकार को सचेत करते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.
इस सला 28 से 30 नवंबर तक आयोजित होने वाले विश्व आपदा समिट के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी शामिल हुए. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने भूमि उपयोग नीति में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सरकारों को अब जागना होगा और विशेषकर पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में भूमि उपयोग कानूनों को और अधिक सख्त बनाना होगा. उन्होंने अवैध खनन को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि कई बार इस तरह की गतिविधियों में स्थानीय लोग स्वयं शामिल होते हैं, लेकिन दीर्घकालिक नुकसान से बचने के लिए इन पर सख्ती से रोक लगाना बेहद जरूरी है.
इसी कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि 2021 की एक स्टडी में उन्होंने यह पाया था कि किस तरह कानून को ताक पर रखकर किए गए खनन के कारण हल्द्वानी में गौला नदी का पुल तबाही की ओर बढ़ गया. उत्तराखंड में सरकार का दावा है कि अवैध खनन पर पूर्ण रोक है और सब कुछ नियंत्रण में है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है जिसकी तस्दीक खुद विकासनगर तहसील से सामने आई तस्वीरें कर रही है.
वहीं प्रेमनगर से कालसी तक यमुना नदी का चीरहरण कर अवैध खनन की चांदी काटने वाले माफियाओं की करतूत को उजागर करते हुए जिम्मेदारों ने बड़ी कार्रवाई की है ताकी खनन माफिया सरकार को राजस्व का चूना ना लगा सकें. राज्स्व चोरी से इतर एक दूसरी तस्वीर भी सामने आई जहां ढालीपुर में यमुना नदी में खनन की चोरी को लेकर खनन माफियाओं के गुर्गे खूनी गैंगवॉर करते नजर आए, तस्वीरें वायरल हुईं, लेकिन तहसील से लेकर जिले तक के अधिकारी मौन रहे जिससे इन खनन माफियाओं की ताकत और यमुना नदी में माफिया राज का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है.
बता दें कि पछवादून में आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अवैध खनन यमुना नदी में गैंगवॉर की तस्वीरों के बाद जिम्मेदार विभागों ने मोर्चा संभालते हुए, पिछले 8-10 दिनों में जिला खनन अधिकारी देहरादून के नेतृत्व में तहसील विकासनगर के अधिकारियों ने लगातार खनन पट्टों पर छापेमारी की जहां उन्होंने कई वाहन अवैध खनन में लिप्त पाए गए और सीज किए गए. खास तौर पर हालिया छापेमारी में दो 10 टायर डंपर और एक 6 टायर डंपर पकड़े गए, जिन पर लाखों रुपये का जुर्माना भी ठोका गया जबकि दर्जनों अन्य वाहन टीम को देखते ही फरार हो गए. इसके अलावा कई खनन पट्टों पर गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जिनके चलते ई-रवन्ना पोर्टल सस्पेंड कर दिया गया.
इसके साथ ही बिना अनुमति के चल रहे भंडारणों पर भी चालानी कार्रवाई कर उपखनिज जब्त किए गए, जिसमें सबसे चौंकाने वाली कार्रवाई ढालीपुर में हुई जहां—रिवर ड्रेजिंग के स्वीकृत खनन लॉट पर देर रात जांच की गई, और लॉट की मार्किंग यानी खंबे और निशान ही गायब पाए गए. जिसके चलते नियमों की ऐसी खुली उल्लंघना के चलते पूरा खनन लॉट तुरंत सीज कर दिया गया. बवाजूद इसके खनन माफियाओं की माफियागिरी बेखौफ जारी है.
विभागों की छापेमारी होती है, जुर्माने लगते हैं, वाहन पकड़े जाते हैं, पट्टे सस्पेंड होते हैं, लॉट सीज होते हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अवैध गतिविधियां थम क्यों नहीं रही? राजस्व की यह बढ़ोतरी सराहनीय है, लेकिन क्या यह पर्यावरण और नियमों की कीमत पर हो रही है? प्रशासन की इन ताजा और लगातार कार्रवाइयों का स्वागत है, लेकिन सरकार और प्रशासन से उम्मीद है कि राजस्व के साथ-साथ अवैध खनन माफिया पर पूर्ण, लगातार और निर्णायक अंकुश लगेगा, ताकि हिमालयी राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी सुरक्षित रहे.
(रिपोर्ट- अंकित शर्मा, देहरादून)
ये भी पढ़ें-
आ रहा है किसान तक का किसान कारवां, 29 दिसंबर से शुरुआत, खेती से जुड़ी आपकी बात आपके साथ
आलू के गिरते भाव को लेकर किसान नेता चढ़ूनी ने CM सैनी को लिखा खत, दे दिया इतना बड़ा अल्टीमेटम
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today