
देश में किसान उत्पादक संगठन (FPO) को किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें संगठित करने का मजबूत माध्यम माना जा रहा है. इसके बावजूद आज भी बड़ी संख्या में किसान FPO से जुड़ने में हिचकिचाते हैं. कई तरह के मिथ हैं जो उन्हें FPO से जुड़ने से रोकते हैं और इसी आधी जानकारी की वजह से किसान कई ऐसे फायदों से दूर रह जाते हैं जो उन्हें मिल सकते थे. FPO को लेकर फैले मिथ्स और अधूरी जानकारी या कभी-कभी अफवाहें और गलत धारणाएं किसानों को इससे दूर न कर सकें, इसके लिए जरूरी है कि इस बारे में सबकुछ पता हो. आइए आज आपको FPO से जुड़े कुछ आम मिथ और उनसे जुड़ी सच्चाईयों के बारे में बताते हैं.
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि बदलते बाजार और बढ़ती लागत के दौर में अकेला किसान कमजोर पड़ता है। ऐसे में FPO संगठित खेती की असली ताकत बनकर सामने आता है. यह न सिर्फ किसानों की सौदेबाजी की शक्ति बढ़ाता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाता है. कुछ आम मिथ हैं आज हम जिनके बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
मिथ: FPO में जुड़ना बहुत मुश्किल है
तथ्य: ऐसा कुछ नहीं है और FPO की सदस्यता हासिल करने का प्रॉसेस बेहद ही आसान है. किसान मामूली रकम अदा करके FPO का शेयर खरीदकर इसका सदस्य बन सकते हैं. इसके लिए न तो किसी तरह का कोई कागजी झंझट है और न ही किसी बड़े निवेश की जरूरत.
मिथ: सिर्फ बड़े या अमीर किसानों के लिए
तथ्य: यह बात भी एकदम गलत है कि एफपीओ सिर्फ छोटे और सीमांत किसानों को ताकत देने के लिए है. ऐसे किसान जिनके पास 1–2 एकड़ जमीन है, वो भी FPO के जरिए बड़े किसानों के बराबर ही बाजार में अपनी पहचान बना सकते हैं.
मिथ: सिर्फ पुरुष किसानों के लिए है
तथ्य: FPO में महिला किसान और युवा पूरी बराबरी से शामिल हो सकते हैं. देश में कई ऐसे FPO हैं जिनका संचालन महिला किसान कर रही हैं और आज वो सफलता का नया उदाहरण हैं.
मिथ: खत्म हो जाती है किसान की आजादी
तथ्य: FPO किसान की आजादी नहीं छीनता बल्कि उसे मजबूत करता है. किसान अपनी फसल, खेती के तरीके और फैसले खुद लेता है, बस बिक्री और खरीद में समूह की ताकत मिल जाती है.
मिथ: तुरंत बड़ा मुनाफा मिलता
तथ्य: FPO कोई फास्ट मीडियम नहीं है जो आपको अमीर बना देगा बल्कि यह एक लॉन्ग-टर्म मॉडल है, जो धीरे-धीरे किसानों की लागत घटाता है, बाजार तक सीधी पहुंच देता है और स्थायी आय बढ़ाने में मदद करता है.
मिथ : FPO सिर्फ खेती के लिए
तथ्य: FPO सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है. इसके जरिए प्रोसेसिंग, स्टोरेज, ब्रांडिंग, एक्सपोर्ट और डिजिटल मार्केटिंग तक के नए रास्ते खुल सकते हैं.
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