केंद्र सरकार ने जूट बैग्स के इस्तेमाल और कीमतों को लेकर नए प्राइस मेथड (New Pricing Methodology) अपनाने को मंजूरी दी है, जिससे जूट बैग्स कारोबार से जुड़े 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका का रास्ता साफ हो गया है. जूट बैग के लिए अधिक कीमत मिलने से 4 करोड़ से अधिक किसान, मजदूर और मिल कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. क्योंकि, इस्तेमाल बढ़ने से रोजगार संकट खत्म होगा और मजदूरी दर में इजाफा होगा. भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने कहा कि लंबे समय से मूल्य निर्धारित करने के तरीके को बदलने की मांग की जा रही थी.
भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने बीते जुलाई महीने में जूट बैग की घटती मांग की चिंताओं और क्वालिटी में सुधार को लेकर बैठक में सरकार से निर्माण कीमतें तय करने समेत कई सुधार की सिफारिशें की गई थीं. अब केंद्र सरकार ने बीते दिन बुधवार को कैबिनेट फैसलों में जूट बैग्स के इस्तेमाल और कीमतों को लेकर नया प्राइस मेथड अपनाने को मंजूरी दी है. इसके बाद श्रमिकों को जूट बैग बनाने की अच्छी कीमत और रोजगार मिलते रहने रास्ता साफ हो गया है. जूट किसानों को भी अच्छा दाम मिलेगा. इस फैसले से 4 करोड़ से अधिक किसान, मजदूर और मिल कर्मचारियों को लाभ मिलेगा.
भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने गुरुवार ने खाद्यान्नों की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली जूट की बोरियों के लिए नई मूल्य निर्धारण पद्धति को कैबिनेट मंजूरी देने को सराहनीय बताया है. बयान में कहा कि नई मूल्य निर्धारण पद्धति जूट मिलों के लिए बेहतर मूल्य निर्धारित करने, उद्योग के भीतर मॉडर्न तरीकों को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार की गई है. केंद्र सरकार ने खाद्यान्नों की पैकेजिंग 100 फीसदी जूट बैग में करने को कहा है. जबकि, 20 फीसदी चीनी को जूट बोरियों में भरने को जरूरी कर दिया है.
2023 के आंकड़ों के अनुसार सरकार हर साल खाद्यान्न की पैकिंग के लिए लगभग 9,000 करोड़ रुपये का जूट बैग खरीदती है. ताजा फैसले के बाद केंद्र सरकार सालाना 12,000 करोड़ रुपये की जूट बोरियों की खरीद करेगी. इसके साथ ही नई मूल्य निर्धारण पद्धति से जूट किसानों की उपज और श्रमिकों के लिए बाजार मिलना पक्का हो जाएगा. इस निर्णय से जूट मिलों और संबंधित व्यवसायों में काम करने वाले लगभग 4 लाख श्रमिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी आजीविका और काम में सुधार होगा. इसके अलावा जूट उत्पादन करने वाले 40 लाख किसान परिवारों को भी लाभ मिलेगा.
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