17 जून को बकरीद है. इस मौके पर तीन दिन तक हलाल पशु की कुर्बानी दी जाएगी. हमारे देश में खासतौर पर बकरे और भैंस की कुर्बानी दी जाती है. इसी के चलते हाट समेत जगह जगह बकरों का बाजार सज गया है. बकरों को सजा धजा कर बेचने के लिए लाया जा रहा है. किसी को मेंहदी से सजाया गया है तो किसी को घुंघरू पहनाकर. लेकिन अक्सर देखा गया है कि जैसे ही लोग बकरा खरीदकर घर पहुंचते हैं तो बकरा बीमार हो जाता है. बकरा खाना-पीना कम या कभी कभी तो एकदम बंद कर देता है.
गर्मी भी अपने चरम पर है. ऐसे में कुर्बानी के बकरे का रख-रखाव कैसा हो. उसे खाने पीने में क्या-क्या दिया जाए और क्या नहीं. बकरे को बाहर घुमाने का वक्त क्या होना चाहिए. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब किसान तक ने गोट एक्सपर्ट से पूछे. घर पर बकरे का रख-रखाव कैसे करें इसके बारे में ही हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं.
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गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरों को बाजार में लाने से पहले कारोबारी उन्हें खूब खिला-पिलाकर लाते हैं. बहुत सारे कारोबारी बकरे को तगड़ा दिखाने के चक्कर र में बेसन का घोल समेत कुछ खास तरह के केमिकल पिलाकर लाते हैं. बेसन पेट को फुला देता है. लेकिन गर्मियों में बेसन पीने से बकरे का पेट भी खराब हो जाता है. अब जैसे ही बकरा घर आता है तो घर के बच्चे खुशी-खुशी में उसे खूब खिलाने पिलाने लगते है. इस तरह ओवर डाइट के चक्कर में बकरा बीमार पड़ जाता है. कई बार तो बकरे की मौत तक हो जाती है.
सुबह से शाम तक बकरे को तीन से चार बार साफ, ठंडा पानी पिलाएं.
गर्मी ज्यादा हो और बकरे को सांस लेने में तकलीफ हो तो उसे इलेक्ट्राल पाउडर दें.
एक इलेक्ट्राल पाउडर के पाउच को एक लीटर पानी में घोल लें और दिन में दो बार दे दें.
सुबह दस से शाम पांच बजे तक बकरों को धूप में न बैठाएं.
सुबह 10 के बाद और शाम चार बजे से पहले खुले में चराने ना ले जाएं.
जहां तक संभव हो तो दिन में बकरे को छायादार जगह पर आराम करने दे.
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बार-बार ना देकर बकरे को तय वक्तह पर ही खाने को दें.
फीड में चना, चना की चुनी, गेहूं, चोकर, जो, और मिनरल दें.
गर्मियों में हरे चारे की मात्रा को बढ़ा दें.
बकरे के सामने काला नमक और लाहौरी नमक जरूर रखें.
बकरा जब नमक चाटता है तो उसका हाजमा ठीक होता है.
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