नोएडा के 81 गांवों के किसानों ने एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है. आज यानी गुरुवार को सैकड़ों की संख्या में किसान प्राधिकरण के दफ्तर की घेराबंदी करने पहुंचे. हालांकि पुलिस ने उन्हें कार्यालय से पहले ही रोक दिया. बड़ी संख्या में किसान नारेबाजी कर रहे थे और अपनी मांग उठा रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी रही.
किसानों की मुख्य मांगें हैं कि जिन 81 गांवों के किसान नोएडा प्राधिकरण के भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हुए हैं, उन्हें समान मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा, उन्हें 10 परसेंट प्लॉट दिए जाएं और गांव की आबादी का सही तरीके से समाधान किया जाए. किसानों का यह भी कहना है कि रेवेन्यू रिकॉर्ड से प्राधिकरण का नाम हटाकर काश्तकारों का नाम दर्ज किया जाए.
किसानों की अन्य मांगों में आबादी बिनावली 2011 की सीमा 450 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 1000 वर्ग मीटर करना शामिल है. गांवों में परी फेरी के अंतर्गत अधिकृत आबादी में रहने वाले पुश्तैनी किसानों के विनियम के लिए कब्जा दस्तावेजों के आधार पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. साथ ही, अतिक्रमण की श्रेणी को हटाकर प्राधिकरण द्वारा अर्जित भूमि का नियोजन सुचारू रूप से किया जाए, ऐसी किसानों की मांग है. किसानों ने यह भी मांग की है कि 5 परसेंट के विकसित भूखंडों पर पहले से चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को नीतिगत अनुमति दी जाए.
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किसानों का आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण ने उनकी कई मांगों को अपनी बोर्ड बैठक में पास कर दिया था, लेकिन शासन द्वारा उन मांगों को अभी तक आगे नहीं बढ़ाया गया है. इन सभी बातों पर विरोध जताते हुए किसानों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है.
इससे पहले भी किसान नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अंजाम देते रहे हैं. हालांकि पुलिस के साथ चली बातचीत और आश्वासनों के बाद किसान प्रदर्शन को रोक देते हैं. मुआवजे की मांग उनकी पुरानी है और वे इसके लिए लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. गुरुवार को भी नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर के बाहर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें दफ्तर के बाहर ही रोक दिया.(भूपेंद्र चौधरी की रिपोर्ट)
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