Jammu Farmer Protest: पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब क्‍यों विरोध प्रदर्शन पर उतरे किसान

Jammu Farmer Protest: पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब क्‍यों विरोध प्रदर्शन पर उतरे किसान

भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से लगा अरनिया सेक्टर में मंगलवार को सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. सेक्टर के करीब 15 गांवों के किसानों ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट और राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उनका विरोध फेंसिंग एरिया के अंदर की जमीन के मालिकाना हक और मुआवजे के लिए है.

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Jammu Farmer Protest: पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब क्‍यों विरोध प्रदर्शन पर उतरे किसानfarmer Protest Jammu

पाकिस्‍तान बॉर्डर से लगा जम्मू का अरनिया सेक्‍टर बेहद ही संवेदनशील माना जाता है. लेकिन यहां पर पिछले दिनों कुछ ऐसा हुआ है जो सरकार को थोड़ा परेशान कर सकता है. इस संवेदनशील अरनिया सेक्टर में पिछले दिनों किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है. यह प्रदर्शन सरकार के खिलाफ था और किसानों ने इस दौरान सरकार पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जमीन छीन रही है और इसका कोई भी मुआवजा उन्‍हें नहीं दिया जा रहा है. 

15 गांवों के किसान हुए शामिल 

भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से लगा अरनिया सेक्टर में मंगलवार को सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. सेक्टर के करीब 15 गांवों के किसानों ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट और राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उनका विरोध फेंसिंग एरिया के अंदर की जमीन के मालिकाना हक और मुआवजे के लिए है. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना था कि राजस्‍व विभाग ने उनकी जमीन हथिया ली है और उन्‍हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया है. किसानों की मानें तो उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन पर सरकार कब्‍जा कर रही है. इसके एवज में उन्‍हें कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. 

रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट कर रहा परेशान 

इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व तारेबा गांव की पूर्व सरपंच बलबीर कौर, अल्हा गांव की पूर्व सरपंच कमलेश कुमारी और बाकी किसानों ने किया. गांव में एक विरोध रैली भी निकाली गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने डिपार्टमेंट और सरकार के खिलाफ नारे लगाए. किसानों ने आरोप लगाया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट जानबूझकर उन्हें परेशान कर रहा है. पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने कहा कि जो किसान दशकों से बॉर्डर के इलाके में खेती कर रहे हैं, उन्हें अभी तक उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया गया है. 

सरकार को भुगतने होंगे नतीजे 

उनकी मानें तो इन जमीनों को कभी सरकारी जमीन, कभी कस्टोडियन जमीन, तो कभी वक्फ बोर्ड की जमीन बताकर किसानों को परेशान किया जा रहा है.  प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें तुरंत पूरी नहीं की गईं या किसानों के खिलाफ जबरदस्ती की गई तो इसके गंभीर नतीजे होंगे, जिसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होंगे. बॉर्डर के इलाके के सभी गांव बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे. 

हमेशा दिया सरकार का साथ 

पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने एक स्‍थानीय न्‍यूज से बातचीत में कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बॉर्डर पर रह रहे हैं किसानों को बिना हथियार के जवान बता चुके हैं. लेकिन अगर इन्‍हीं  'जवानों' से उनकी जमीन छीन ली गई तो वह फिर वहां क्‍या करेंगे. बलबीर कौर ने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग के अधिकारी बिना कोई बात सुन उनकी जमीनों पर अपनी पिकेट बना रहे हैं. उनका कहना था कि ये वही किसान है जिन्होंने 1965 की लड़ाई, कारगिल युद्ध और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना और सुरक्षाबलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया था. 

कौन हैं ये लोग 

बलबीर कौर ने जानकारी दी कि जो लोग इन गांवों में रह रहे हैं, वो वही लोग हैं जिन्‍हें सरकार की तरफ से जमीन एलॉट की गई थी. अधिकतर गांववाले 1965 और फिर 1971 में पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे और तब से सरकार ने उन्हें यह जमीन आवंटित की थी और तब से यह सारे लोग यहां खेती-बाड़ी कर अपना पेट पाल रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि आप अगर इनसे इनकी रोजी-रोटी छीनी जाएगी तो यह लोग कहां जाएंगे.

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