Drone workshop: राजधानी लखनऊ के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के सेंटर फॉर एंडवास स्टडीज की ओर से एन्सिस सॉफ्टवेयर व एआरके इंफॉ सॉल्यूशन के सहयोग से शुक्रवार को ड्रोन तकनीकी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एकेटीयू के कुलपति प्रो जेपी पांडेय ने कहा कि ड्रोन तेजी से बढ़ती और उभरती तकनीकी है. इसका प्रयोग हर क्षेत्र में किया जा रहा है. पहले ड्रोन के जरिये सिर्फ फोटोग्राफी की जाती थी. लेकिन अब विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन इस तकनीकी में आ गये हैं. उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य और कृषि से लेकर सामान पहुंचाने में मददगार साबित हो रही है.
भारत की जरूरत और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस तकनीकी में बहुत कुछ किया जा सकता है. इस तकनीकी में भारत के पास पूरी दुनिया की अगुवाई करने का अवसर है. हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं. लेकिन हमें इससे पार पाते हुए लगातार प्रयास करना होगा. सबसे जरूरी है शिक्षकों और छात्रों को नये सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी हो. कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों और शिक्षकों के लिए नये प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करेगा. ताकि छात्र तैयार हो सकें.
सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज के निदेशक प्रो वीरेंद्र पाठक ने कहा कि ड्रोन तकनीकी वर्तमान में सबसे ज्यादा उपयोगी हो गया है. इस तकनीकी का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जा रहा है. कृषि, स्वास्थ्य, सुरक्षा, निगरानी, सामान पहुंचाने में भी यह काम आ रही है. हाल ही में बिजली विभाग ने बिजली चोरी रोकने में भी इसका इस्तेमाल किया था. यानि हम अपने जरूरत के अनुसार इस तकनीकी को बना सकते हैं.
बतौर विशेषज्ञ आईआईटी कानपुर के डॉ अभिषेक ने ड्रोन डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, सिमुलेटिंग आदि पर विस्तार से बताया. कहा कि मैदानी और पहाड़ी इलाकों में ड्रोन की क्षमता अलग-अलग होती है. सेना के लिए ऐसे ड्रोन की आवश्यकता है, जिससे कम उर्जा खपत में अधिक सामानों की डिलेवरी दुर्गम इलाकों में हो सके. उन्होंने कहा कि ड्रोन की डिजाइन, वजन उठाने की क्षमता और रफ्तार काफी मायने रखता है.
डॉ अभिषेक ने बताया कि अभी किसानों को आमतौर पर खेत की बुवाई में पूरा दिन लग जाता है. लेकिन ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद से सिर्फ 25 मिनट में एक एकड़ खेत में किसान बुवाई कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसमें कीटनाशक का छिड़काव करना हो या फिर फसलों में खाद डालना हो यह सब काम भी इसी ड्रोन की मदद से किया जा सकेंगे. गति संस्था के पास एग्रीकल्चर ड्रोन है जिसका इस्तेमाल फसल में किया जा सकता है. यह ड्रोन 14 किलो का वजन रखकर अपने साथ उड़ सकता है. इसकी कुल क्षमता 29 किलो की है जिसमें 15 किलो ड्रोन का वजन है और यह एक बार के चार्ज में 20 से 25 मिनट तक काम कर सकता है. इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है.
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