कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां अंडे को मिड-डे-मील (एमडीएम) में शामिल कर लिया है. वहीं ज्यादातर राज्यों में अंडा एमडीएम में शामिल करने की मांग हो रही है. राज्यों की पोल्ट्री एसोसिएशन इस कारोबार को बचाने के लिए लगातार यह मांग कर रही हैं. एसोसिएशन का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो इससे अंडे की पूरे साल डिमांड भी रहेगी और अच्छा दाम भी मिल जाएगा. लेकिन पोल्ट्री एसोसिएशन की मांग के पीछे एक और बड़ी वजह है. इसी बड़ी वजह को आगे रखते हुए एसोसिएशन यह मांग कर रही हैं.
नई शिक्षा नीति की सिफारिशों के मुताबिक सरकारी स्कू्ल के कक्षा एक से आठ में पढ़ने वाले बच्चों को नाश्ता देने की बात कही गई है. नाश्ते में किसी दिन मूंगफली, चना और गुड़ होगा तो किसी एक दिन बच्चों को अंडा-दूध भी दिया जाएगा. किचिन में हलवा बनाने का सुझाव भी कमेटी ने दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक देशभर में एमडीएम खाने वाले बच्चों की संख्या 13 करोड़ से अधिक है, जबकि हर रोजाना एमडीएम खाने वाले बच्चों की संख्या 10 करोड़ होती है.
यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली ने बताया कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए एमडीएम के साथ अब नाश्ता भी शुरू करने की सिफारिश की गई है. केन्द्र सरकार 2016 से इस दिशा में काम कर रही थी. एक सर्वे रिपोर्ट में सामने आया था कि 30 से 40 फीसदी से अधिक बच्चे इसलिए स्कूल जाते हैं, ताकि उन्हें दोपहर का भोजन मिल सके. इसी के चलते नाश्ता शामिल करने की योजना तैयार हुई. क्योंकि इसी रिपोर्ट में सामने आया था कि बच्चे पौष्टिक आहार न मिलने से कुपोषण के शिकार होते हैं. इसलिए नाश्ते में पौष्टिक आहार को शामिल किया जा रहा है.
एम्स की कमेटी ने नाश्ते के मैन्यू को कुछ इस तरह से तैयार किया है कि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा पौष्टिक भोजन खाने को मिले. इसी के चलते अंडे को नाश्ते में शामिल किया गया है. लेकिन इलाकाई खान-पान के आधार पर बच्चों को अंडा दिया जा सकता है. जानकारों की मानें तो नॉर्थ-ईस्ट के स्कूलों में एमडीएम में अंडा शामिल है. नाश्ते के इस मैन्यू में राज्य सरकार चाहें तो बदलाव कर सकती हैं. इस बदलाव में ओर अधिक आइटम जुड़ सकते हैं.
कक्षा 1 से 5 के प्रति छात्र रोजाना का खर्च
100 ग्राम गेहूं/चावल
4.97 रुपये कंवर्जन कॉस्ट
कक्षा 6 से 8 के प्रति छात्र
150 ग्राम गेहूं/चावल रोजाना
7.45 रुपये कंवर्जन कॉस्ट
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