आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को बहुत अहम दर्जा दिया गया है. तुलसी एक पवित्र पौधा है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. ज्यादातर लोग तुलसी के पत्ते, तुलसी का पानी और इसकी चाय का सेवन करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी तुलसी के तेल के बारे में सुना है? क्या आप इस तेल के बारे में कुछ जानते हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस तेल के बारे में बताएंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि एक हेक्टेयर में किसान कितनी कमाई कर सकते हैं. तुलसी का तेल एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. तुलसी का तेल भी बालों की अधिकांश समस्याओं का समाधान है.
इसके एंटी-बायोटिक गुण आपको कई तरह के संक्रमण और घावों से भी बचाते हैं. इतना ही नहीं, यह तेल आपको सांस संबंधी समस्याओं, त्वचा रोगों और आदि से भी बचाने में मदद करता है. ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी के पत्तों से अधिक तेल चाहिए तो ऐसे करें कटाई.
तुलसी की फसल की पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए. उसके बाद मिट्टी की नमी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए. गर्मियों में हर महीने 3 बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ सकती है. यदि बारिश के महीने में लगातार वर्षा होती रहे तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. बुआई के लगभग तीन महीने बाद जब पौधों में फूल आना पूरा हो जाता है, तब कटाई का उपयुक्त समय माना जाता है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि तेल निकालने के लिए तुलसी के पौधे का 25-30 सेमी हिस्सा हटा देना चाहिए. ऊपरी वानस्पतिक भाग की कटाई करनी चाहिए. तुलसी की औसत उपज 20-25 टन प्रति हेक्टेयर तथा तेल उपज 80-100 किलोग्राम हेक्टेयर तक होता है.
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तुलसी के तेल को इसके औषधीय गुणों के लिए आयुर्वेद में अत्यधिक मान्यता प्राप्त है. तुलसी का तेल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. तुलसी का तेल आंखों के संक्रमण को भी ठीक करता है. यह लाल आँखों को भी ठीक करता है. तुलसी में विटामिन ए होता है, जो आंखों के लिए अच्छा पोषक तत्व है. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंखों में किसी भी प्रकार की सूजन को कम करते हैं. यह आंखों को बैक्टीरिया, फंगस और वायरस से भी बचाता है.
तुलसी का तेल शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है. इससे शरीर के हर अंग तक ऑक्सीजन की कमी दूर होती है. तुलसी का तेल शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है. हृदय रोग से बचने के लिए तुलसी का तेल भी एक बहुत अच्छा विकल्प है. यह शरीर को ऊर्जा देता है. खराब रक्त प्रवाह के कारण होने वाली समस्याओं जैसे मांसपेशियों में ऐंठन, काले धब्बे, थकान आदि को रोकता है.
तुलसी के तेल का इस्तेमाल त्वचा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. आयुर्वेद में त्वचा संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए पहली सलाह तुलसी का तेल हो सकती है. तुलसी का तेल आपकी त्वचा की खुजली को दूर करता है. इसके सूजन-रोधी गुण मच्छरों, मधुमक्खियों आदि के काटने के निशान को ठीक करने में मदद करते हैं और त्वचा पर जलने और कटने के निशान को भी ठीक करने में मदद करते हैं. इसके अलावा तुलसी का तेल एक एंटी-एजिंग आवश्यक तेल है. खासकर विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर तुलसी का तेल चेहरे को धूप से होने वाले नुकसान से बचाता है और त्वचा पर झुर्रियां नहीं पड़ने देता.
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