Eco Friendly Plastic: भारत में प्लास्टिक का नया विकल्प, गन्ने से बना इको-फ्रेंडली PLA, बालरामपुर चिनी मिल्स की अनोखी पहल

Eco Friendly Plastic: भारत में प्लास्टिक का नया विकल्प, गन्ने से बना इको-फ्रेंडली PLA, बालरामपुर चिनी मिल्स की अनोखी पहल

Eco Friendly plastic: गन्ने से बना PLA भारत में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है. बालरामपुर बायोयुग जैसे प्रयासों से यह सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है, बशर्ते सरकार और जनता दोनों इसका समर्थन करें. अब समय है, हम सब मिलकर पौधों पर आधारित प्रगति की ओर कदम बढ़ाएं.

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भारत में प्लास्टिक का नया विकल्प, गन्ने से बना इको-फ्रेंडली PLA, बालरामपुर चिनी मिल्स की अनोखी पहलबालरामपुर बायोयुग (New Solution of Plastic)

आज की दुनिया में प्लास्टिक प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है. खासकर सिंगल-यूज़ प्लास्टिक (एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक) पर कई देशों में प्रतिबंध लगाया जा रहा है. ऐसे समय में एक नया, पर्यावरण के अनुकूल विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है—पॉली लैक्टिक एसिड (PLA). यह एक बायोप्लास्टिक है जो गन्ने से बनाया जाता है और पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल यानी प्राकृतिक रूप से गलने वाला है.

भारत में PLA का भविष्य

भारत में अगर सरकार थोड़ी सी नीतिगत मदद दे, तो PLA आसानी से परंपरागत प्लास्टिक को बदल सकता है. इसी दिशा में एक बड़ी शुरुआत की है बालरामपुर चिनी मिल्स लिमिटेड (BCML) ने. यह भारत की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनियों में से एक है. अब BCML ने PLA को एक ब्रांड के रूप में "बालरामपुर बायोयुग" नाम से पेश किया है, जिसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में लॉन्च किया.

गन्ने से बनेगा बायोप्लास्टिक

BCML उत्तर प्रदेश के कुंभी स्थित अपने मौजूदा चीनी मिल परिसर में ₹2,850 करोड़ की लागत से एक बायोपॉलीमर प्लांट लगा रहा है. यह भारत का पहला ऐसा औद्योगिक स्तर का PLA प्लांट होगा जो पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा से चलेगा. इस प्लांट की खासियत यह होगी कि गन्ने से PLA बनाने की पूरी प्रक्रिया एक ही जगह पर होगी.

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पूरे देश में चलेगी "बायोयुग ऑन व्हील्स" बस

BCML ने लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए एक खास बस शुरू की है जिसका नाम है "बायोयुग ऑन व्हील्स". यह बस देशभर में घूमेगी और लोगों को दिखाएगी कि PLA से कैसे इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं. इससे लोगों में सर्कुलर इकॉनमी और सस्टेनेबल जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ेगी.

लीडर की बातें

BCML के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक सरावगी ने कहा, हमारा PLA प्रोजेक्ट भारत के सतत विकास लक्ष्यों के साथ मेल खाता है और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि भारत की पहली बायो-E3 नीति और उत्तर प्रदेश सरकार की बायोप्लास्टिक नीति ने इस दिशा में काम करने का आत्मविश्वास दिया.

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बालरामपुर बायोयुग: एक नई शुरुआत

BCML की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अवंतिका सरावगी ने कहा, आज हमने सिर्फ एक ब्रांड लॉन्च नहीं किया, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन की शुरुआत की है. बालरामपुर बायोयुग भारत को एक बायो-बेस्ड, लो-कार्बन इकॉनमी की ओर ले जाने वाला कदम है.

उन्होंने महाराष्ट्र के मजबूत कृषि आधार का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य देश का अग्रणी बायोप्लास्टिक बाजार बन सकता है. उन्होंने सरकार से एमएसएमई (छोटे उद्योगों) को सहयोग देने की अपील भी की.

टिकाऊ और भरोसेमंद विकल्प

BCML के केमिकल डिवीजन के अध्यक्ष स्टीफन बारोट ने कहा कि बालरामपुर बायोयुग की सालाना क्षमता 80,000 टन होगी. इससे 100% बायो-बेस्ड और कंपोस्टेबल PLA बनाया जाएगा जो वैश्विक प्लास्टिक संकट का टिकाऊ समाधान बन सकता है.

उन्होंने बताया कि PLA में अच्छी मजबूती और टिकाऊपन होता है, जिससे यह प्लास्टिक के कई विकल्पों जैसे कि स्टॉ, डिस्पोजेबल चम्मच-कांटे, ट्रे, बोतलें और दही के कप के लिए बिल्कुल उपयुक्त है.

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