Komal Saul Rice: बिना पकाए खाना होता है ये चावल, मिलता है अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन

Komal Saul Rice: बिना पकाए खाना होता है ये चावल, मिलता है अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन

आमतौर पर चावल को पकाकर खाया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चावल के बारे में बताने जा रहे है, जो भिगोकर खाने पर ज्‍यादा लाभकारी होता है. इसमें अधि‍क मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है. इसके गुड़ और दही के साथ खाया जाता है.

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Komal Saul Rice: बिना पकाए खाना होता है ये चावल, मिलता है अंडे से भी ज्यादा प्रोटीनइस चावल में होता है ज्‍यादा प्रोटीन. (सांकेतिक तस्‍वीर)

मानव शरीर को रोजाना एक नियत मात्रा में प्रोटीन की जरूरत पड़ती है. पुरुषों को आमतौर पर वजन के 0.84 प्रतिशत मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है तो वहीं महिलाओं में 0.75 प्रतिशत की जरूरत पड़ती है. हालांकि, वि‍शेषज्ञों के अनुसार, उम्र और अन्‍य मापदंडो के आधार पर प्रोटीन की जरूरत बदल सकती है. ऐसे में अगर आप शाकाहार का पालन करते हैं तो पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन हासि‍ल पाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जानिए एक खास चावल की किस्‍म के बारे में जो अंडे से भी ज्‍यादा प्रोटीन देने में सक्षम है. इस चावल का नाम 'बोका साउल' (Boka Saul) है. इसमें बोका का मतलब है लाल या भूरा और साउल का मतलब चावल है. वहीं असम के कुछ इलाकों में इसे कोमल साउल (Komal Saul) के नाम से जाना जाता है. 

30 से 35 म‍िनट भिगोएं

ज्‍यादातर लोग चावल को पकाकर ही खाते हैं, लेकिन बोका साउल चावल की खास बात यह है कि इसे पकाना भी नहीं पड़ता. इसे 30 से 35 मिनट तक पानी में भ‍िगोकर रखते हैं और फिर गुड़ या दही के साथ खा सकते हैं. आप चाहें तो इसे पकाकर भी खा सकते हैं, लेकिन इस भिगोकर खाना ज्‍यादा फायदेमंद है. इस चावल में फाइबर, प्रोटीन अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है. इसमें मैंगनीज, आयरन, सेलेनियम, नियासिन, फोलेट और कॉपर जैसे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं, जो पोषण के लिहाज से बहुत जरूरी हैं.

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6.8 ग्राम प्रोटीन मिलता है

गुवाहाटी यूनिर्सिटी के बायोटेक्‍नोलॉजी विभाग के अनुसार, बोका साउल में 6.8 ग्राम प्रोटीन होता है, जो एक छोटे आकार (38 ग्राम) के अंडे की प्रोटीन मात्रा (4.9 ग्राम) से कहीं ज्‍यादा है. वहीं इसमें 10.73 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है. कहा जाता है कि यह चावल शरीर को ठंडक देता है. वहीं, ऊंचाई वाली जगहों पर सैनिकों को ऊर्जा प्रदान करता है. यह भी मान्‍यता है कि 17वीं शताब्‍दी में मुगलों से युद्ध के पहले अहोम सैनिकों को बोका साउल परोसा जाता था. वहीं, आपदा की स्थिति‍ में बांटने के लिहाज से भी ये चावल उपयुक्‍त है.

2018 में मिल चुका है GI टैग

बोका साउल चावल एक प्रकार का चिपचिपा चावल है. यह निचले असम के जिलों- नलबाड़ी, बारपेटा, बक्सा, ग्वालपाड़ा, धुबरी, कोकराझार, दरंग में उगाया जाता है. मार्च 2018 में इस चावल को GI टैग भी दिया जा चुका है. इसके अलावा आप अच्‍छे पोषण के लिहाज से फोर्टिफाइड चावल भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. दरअसल, भारत सरकार पोषण की कमी को दूर करने के लिए फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दे रही है, ताक‍ि‍ कुपोषण से लड़ा जा सके. 

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