फलों का राजा आम हर तरफ सजा हुआ है. अलग किस्मों के आम बाजार में खूब बिकते नजर आ रहे हैं. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि हम जो आम खा रहे हैं, वह हेल्थ के लिए सुरक्षित हो. कोई घर ऐसा नहीं है, जहां गर्मियों में आम का स्वाद न लिया जाता हो. रस भरे आमों के स्वाद से भोजन का जायका दोगुना हो जाता है. आम के कई औषधीय गुण भी हैं, लेकिन कई बार बाजार में बिकने वाले पके हुए आम आपकी सेहत को भारी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. आम की विभिन्न किस्मों के फल 12-16 सप्ताह बाद परिपक्व होते हैं. लेकिन बागवान बेहतर कीमत प्राप्त करने के लिए आम को परिपक्वता से 2-3 सप्ताह पूर्व तोड़ते हैं. इस कारण व्यवसायी आम को पकाने के लिए कैल्सियम कार्बाइड जैसे प्रतिबंधित रसायनों का उपयोग करते हैं. कैल्सियम कार्बाइड नमी के संपर्क में आने पर एसिटीलीन गैस छोड़ता है, जो फल पकाने में सहायक होती है. परंतु इस विधि से पकाए गए आम स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं और इनमें विषाक्त पदार्थ होते हैं जो कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर सकते हैं.
कैल्सियम कार्बाइड के पत्थर या पाउडर से नमी के संपर्क में आने से एसिटिलीन गैस निकलती है. एसिटिलीन एक ज्वलनशील और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैस है, जो वेल्डिंग में भी उपयोग होती है. एसिटिलीन निकल जाने के बाद बने पाउडर में आर्सेनिक जैसे हैवी मेटल इत्यादि की अशुद्धियां रह जाती हैं जो आम के ऊपरी छिलके में लग सकती हैं. यह गैस फलों के सेवन के दौरान विषाक्तता पैदा कर सकती है. इसी प्रकार अन्य अशुद्धियों द्वारा फॉस्फीन और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस भी निकल सकती है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होती है. तंत्रिका संबंधी रोग भी उत्पन्न कर सकती है. यह अशुद्धियां से आंखों में जलन, मिचली, सिरदर्द, और श्वसन तंत्र में परेशानी पैदा कर सकती हैं. ‘प्रीवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन रूल, 1955 की धारा 44 एए’ के तहत कैल्शियम कार्बाइड से फलों को पकाने पर प्रतिबंध है.
फल खरीदते समय ग्राहक कौन सी सावधानी बरतें, ये भी जान लें. बहुत चमकदार आम के फल को खरीदने से बचें, क्योंकि यह इसी तरह के कर्बाइड से पकाया जाता है. कार्बाइड से पकाए गए फलों में एक अजीब सी गंध होती है. प्राकृतिक रूप से पकने वाले फलों की सुगंध ताजगी भरी होती है, जबकि कार्बाइड से पकाए गए फलों में रासायनिक गंध महसूस होती है. कार्बाइड से पकाए गए फल बाहर से अत्यधिक पीले या चमकीले दिख सकते हैं, लेकिन उनके अंदर का रंग समान रूप से पका हुआ नहीं होता है. इसमे आम का बाहरी हिस्सा पीला हो सकता है, लेकिन अंदर का गूदा कच्चा और सफेद हो सकता है.
ये भी पढ़ें: इस बार निराश हैं कर्नाटक के आम किसान, इन तीन वजहों से गिर गई है पैदावार
कार्बाइड से पकाए गए फल सामान्य से अधिक मुलायम हो सकते हैं. इन्हें छूने पर यह आसानी से दब सकते हैं और उनकी बनावट असमान हो सकती है. फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है. कार्बाइड से पकाए गए फल हल्के हो सकते हैं, क्योंकि वे पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते हैं और उनमें पानी की मात्रा कम हो सकती है. कार्बाइड से पके हुए फल एक दो दिन में ही काले पड़ने लगते हैं और खाने पर दस्त लगती है.
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच} लखनऊ के सुझाव के अनुसार ईथरल (ईथेफोन) रसायन का उपयोग आम पकाने के लिए किया जा सकता है. यह रसायन फलों के संपर्क में आकर ईथलीन गैस उत्पन्न करता है. इस विधि के अंतर्गत, फलों को ईथरल के घोल में गर्म पानी (52±2°से.ग्रे.) मिलाकर 5 मिनट के लिए डुबोया जाता है. इस प्रक्रिया से आम समान रूप से पकते हैं. तैयार किए गए घोल का 4 बार तक उपयोग किया जा सकता है. ईथरल उपचार के बाद आम को हवा में सुखाया जाता है. आम के सूखने के बाद उन्हें डिब्बों में पैक किया जाता है.
सीआईएसएच, लखनऊ के अनुसार, ईथलीन गैस एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है. ईथलीन एक प्राकृतिक हार्मोन है जो फल पकने की प्रक्रिया को तेज करता है. ईथलीन गैस का प्रयोग करने से आम की गुणवत्ता बढ़ती है और यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित रहता है. फलों को 24 घंटे के लिए 20-25° से.ग्रे. तापमान और 85-90 परसेंट नमी वाले कक्ष में रखा जाता है.
ये भी पढ़ें: Mango Crop: बढ़ती गर्मी और दुश्मन कीटों से आम की उपज को खतरा, जानें बचाव के उपाय
ईथलीन गैस की सांद्रता 10 से 100 पी.पी.एम. होनी चाहिए. कार्बन डाईऑक्साइड को कक्ष से बाहर रखना जरूरी है क्योंकि यह ईथलीन के प्रभाव को कम कर देता है. हवा का प्रवाह नियंत्रित करना चाहिए ताकि कार्बन डाईऑक्साइड गैस बाहर निकल सके. इस प्रकार, ईथलीन गैस और ईथरल का उपयोग कैल्सियम कार्बाइड की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रभावी है. इससे न केवल आम की गुणवत्ता बेहतर होगी बल्कि किसी प्रकार से हानि नहीं होती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today