स्कूली पाठ्यक्रम का ह‍िस्सा बनेगी कृष‍ि,कि‍तने बदलेंगे क‍िसानों के हालात 

स्कूली पाठ्यक्रम का ह‍िस्सा बनेगी कृष‍ि,कि‍तने बदलेंगे क‍िसानों के हालात 

कृषि को मुख्य धारा के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए ICAR ने योजना बनाई है. इसको लेकर ICAR ने बीते द‍िनों द‍िल्ली में स्कूल संगठनों के साथ बैठक की थी. माना जा रहा है क‍ि इस बैठक के बाद जल्द ही कोई फैसला लेने की तरफ आगे बढ़ रहा है.

Advertisement
स्कूली पाठ्यक्रम का ह‍िस्सा बनेगी कृष‍ि,कि‍तने बदलेंगे क‍िसानों के हालात सांकेत‍िक तस्वीर

देश की बड़ी आबादी कृष‍ि पर न‍िर्भर है. मसलन, देश की अर्थव्यवस्था में कृष‍ि की बड़ी ह‍िस्सेदारी भी है. भारत की आजादी के बाद से अब तक इस प्रमाण‍िक सत्य में मामूली सा बदलाव हुआ है. हालांक‍ि देश की आजादी से अब तक की यात्रा में देश की कृष‍ि ने सफलता की नई इबारत ल‍िखी हैं. लेक‍िन, क‍िसानोंं के हालात अब तक नहीं बदलें. इसे देखते हुए नई पीढ़ी कृष‍ि से दूर होने लगी है. इस ट्रेंड को देखते हुए आशंका लगाई जा रही कुछ दशकों बाद देश को क‍िसानों के भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है. ज‍िसे देखते हुए सरकारें भी एक्ट‍िव मोड में आ गई है. इसी कड़ी में अब एक बार फ‍िर कृष‍ि को स्कूली पाठ्यक्रम का ह‍िस्सा बनाए जाने की कवायद तेज हो गई है. आईए जानते हैं क‍ि ये कार्यक्रम क्या है और क्या इसके लागू होने से क‍िसानों के हालात में बदलाव हो सकता है. 

 

पहले जान लेते हैं क‍ि ये कार्यक्रम क्या है   

 इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर (ICAR) ने देश की कृषि‍ व्यवस्था को सम्मान‍िय स्थान पर पहुंचाने के ल‍िए एक नया कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है. ज‍िसके तहत ICAR की योजना कृष‍ि को स्कूलों के मुख्य धारा के पाठ्यक्रम में शाम‍िल करने की है. इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस संबंध में बीते जून महीने में ICAR ने सीबीएसई जैसे सभी स्कूल ह‍ितधारी संगठनों से चर्चा की थी. माना जा रहा है क‍ि इस चर्चा के बाद ICAR कृष‍ि को स्कूली पाठ्यक्रम का ह‍िस्सा बनाने का फ्रेमवर्क व‍िकस‍ित करने की तरफ बढ़ रहा है. 

 

इस कार्यक्रम से क‍ितने बदल जाएंगे हालात    

ICAR के इस कार्यक्रम के लागू होने से मौजूदा हालातों में क्या बदलाव आएगा, यह भव‍िष्य की गर्भ में है. लेक‍िन, इस कार्यक्रम की घोषणा लागू होने के बाद से ही इस पर चर्चा शुरू हो गई है. इसको लेकर लंबे समय से गांवों और क‍िसानों के ल‍िए काम करने वाले अख‍िल भारतीय पंचायत पर‍िषद के पदाध‍िकारी मनोज जादौन कहते हैं क‍ि मौजूदा समय में ऐसे कार्यक्रम बेहद ही जरूरी है. बकौल जादौन, दुन‍ियाभर में तेजी से शहरीकरण बढ़ा है. नई पीढ़ी खेती और क‍िसानों से दूर हुई है. कनाड़ा समेत कई देश बच्चोंं को खेती और क‍िसानों से जोड़ने के ल‍िए प‍िछले कई वर्षों से स्कूलों में कार्यक्रम चला रहे हैं. भारत में दोबारा ऐसी शुरुआत होना बेहतर संकेत हैंं. मनोज बताते हैं क‍ि 90 के दशक तक स्कूली पाठ्यक्रम में कृष‍ि वि‍ज्ञान नाम का व‍िषय हुआ करता था, लेक‍िन, 21वीं सदी में वह पाठ्यक्रम से गायब हो गया. ज‍िसे दोबारा से शाम‍िल करना बेहद ही अच्छा संकेत है. इससे नई पीढ़ी को खेत, क‍िसान का महत्व समझ में आएगा. 

 

क‍िसानों को ऐसे म‍िलेगा लाभ  

कृष‍ि को स्कूली पाठ्यक्रम से जोड़ने संबंधी ICAR की पहल जहां नई पीढ़ी के ल‍िए फायदेमंद होगी. तो वहीं इसे क‍िसानों के ल‍िए भी बेहद ही लाभकारी माना जा रहा है. माना जा रहा है क‍ि इसे पहल से न्यू माइंड कृष‍ि सेक्टर में आएगा. तो क‍िसानों की कठ‍िनाईयों को कम करने वाले तकनीकें व‍िकस‍ित होने का रास्ता खुलेगा. असल में मौजूदा समय आर्टीफ‍िश‍ियल इंटेलीजेंसी का है. ऐसे में नई पीढ़ी आर्टीफ‍िश‍ियल इंटेलीजेंसी के प्रयोग से क‍िसानों के ल‍िए उपकरण व‍िकस‍ित करने में मददगार साब‍ित हो सकती है.  

POST A COMMENT