कृषि सांख्यिकी की बदौलत 2047 तक विकसित भारत का सपना होगा पूरा, पूसा में प्लैटिनम जुबली सम्मेलन का आगाज

कृषि सांख्यिकी की बदौलत 2047 तक विकसित भारत का सपना होगा पूरा, पूसा में प्लैटिनम जुबली सम्मेलन का आगाज

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सांख्यिकी की रहने वाली है खास भूमिका. पूसा कृषि विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर से जुड़े क्षेत्रों के लिए सहायक प्राध्यापक करेगा नियुक्त. कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस के डीन डॉ. अमरेश चंद्रा ने बताया कि देशभर के 20 से अधिक राज्यों से आए 250 से अधिक वरिष्ठ वैज्ञानिक सम्मेलन में ले रहे हैं भाग.

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कृषि सांख्यिकी की बदौलत 2047 तक विकसित भारत का सपना होगा पूरापूसा में कृषि सांख्यिकी प्लैटिनम जुबली सम्मेलन का आगाज

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी के प्लैटिनम जुबली कांफ्रेंस का भव्य शुभारंभ हुआ. यह  तीन दिवसीय सम्मेलन  कृषि सांख्यिकी के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित रहने वाला है. इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार और भारत सरकार के पूर्व कृषि सचिव डॉ. मंगला राय ने  कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में सांख्यिकी की अहम भूमिका रहने वाली है. इसके लिए वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं को सांख्यिकी की तकनीकी जानकारी से लैस होने की जरूरत है.

डाटा एनालिसिस का कृषि में बढ़ता महत्व

डॉ. मंगला राय ने कहा कि विज्ञान में डाटा और उसके विश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका है. कृषि शोधकर्ताओं को इसका लाभ उठाना चाहिए और आम लोगों को भी सांख्यिकी की मूलभूत जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे सही तथ्यों को पहचान सकें. उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय तेजी से प्रगति कर रहा है. बीते दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने बारह से अधिक पेटेंट हासिल किए हैं, जो अत्यंत सराहनीय उपलब्धि है. 

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डिजिटल एग्रीकल्चर सहायक प्राध्यापक की भर्ती 

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के कुलपति डॉ. पी. एस. पांडेय ने कहा कि डाटा की सत्यता को लेकर सतर्क रहना जरूरी है. उन्होंने मौजूद वैज्ञानिक और विशिष्ठ लोगों को आगाह करते हुए कहा कि डाटा के दुरुपयोग को रोकने की आवश्यकता है. विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है और आने वाले महीनों में दस से अधिक सहायक प्राध्यापक डिजिटल एग्रीकल्चर से जुड़े क्षेत्रों में बहाल किए जाएंगे. दुनिया भर में डाटा संग्रहण के नए मेथडोलॉजी और एल्गोरिद्म विकसित किए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी.

250 से अधिक वैज्ञानिक सम्मेलन में लेंगे भाग

कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस के डीन डॉ. अमरेश चंद्रा ने बताया कि देशभर के 20 से अधिक राज्यों से आए 250 से अधिक वरिष्ठ वैज्ञानिक सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. तीन दिनों तक सांख्यिकी के विभिन्न विषयों पर गहन विचार-विमर्श होगा, जिससे भविष्य की कृषि नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी.

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भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी के सदस्य 

भारतीय कृषि सांख्यिकी सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. पद्म सिंह ने बताया कि इस सोसायटी की स्थापना नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के निर्देश पर हुई थी और इसके पहले सचिव भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे. वे सोलह वर्षों तक इस संस्था से जुड़े रहे. उन्होंने कहा कि इस सोसायटी ने भारतीय कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आने वाले समय में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

 

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