भारत में मसालों का इस्तेमाल दो तरीके से किया जाता है. एक तो खाने में स्वाद डालने और स्वाद को बढ़ाने के लिए, तो वहीं दूसरी तरफ इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है. इसके लिए नया एमआरएल ढांचा तैयार किया जा रहा है. इससे बाजार तक पहुंच बेहतर बनाने में मदद मिलेगी जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार हो सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एमआरएल पर एक नया मसौदा ढांचा तैयार किया है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है.
नए एमआरएल ढांचे पर अधिक जानकारी देते हुए, एफएसएसएआई के कीटनाशक अवशेषों पर वैज्ञानिक पैनल की उप-समिति के अध्यक्ष परेश शाह ने बुधवार को कहा कि एक महत्वपूर्ण संशोधन, अनुमोदित एमआरएल की संख्या 11 से बढ़ाकर 98 करने का काम अंतिम रूप लेने के करीब है.
यह जानकारी उन्होंने अखिल भारतीय मसाला निर्यातक मंच (AISEF) द्वारा बेंगलुरु में आयोजित एक पैनल चर्चा में की. शाह ने कहा, "दशकों से, भारत के MRL पुराने वैश्विक ढांचों से विरासत में मिले हैं. नए ढांचे में व्यापक निगरानी डेटा की व्यवस्था है जिससे मसालों के मानकों को अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क हासिल करने में मदद मिलेगी. साथ ही उन्होंने यह भारतीय मसालों के लिए बाजार पहुंच में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी बताया.
विश्व मसाला संगठन के अध्यक्ष और AISEF की प्रबंध समिति के सदस्य रामकुमार मेनन ने कहा कि मसौदा ढांचे में MRL की संख्या में वृद्धि देखी गई है, जिसका श्रेय सरकार को जाता है. इससे (MRL में वृद्धि) बहुत मदद मिलेगी क्योंकि हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे थे उनमें से एक मसालों के लिए पर्याप्त MRL की कमी थी. इसलिए यदि कोई समस्या होती है, तो हम विदेश में अधिकारियों के पास जाकर अपना मामला पेश नहीं कर पाते हैं. लेकिन अब इससे छुटकारा मिलेगा.
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मेनन ने कहा, अब इस तरह की समस्या नहीं होगी. यह हमारे मामले को मजबूत करता है और हम जाकर नियामक अधिकारियों को बता पाएंगे कि हां, हमारे पास भी ये MRL है, जो विवाद के मामलों में हमारी मदद करता है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अधिक MRL होने से भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार तक पहुंच में सुधार करने में मदद मिलेगी.
साथ ही, अस्वीकृति का जोखिम भी कम हो जाएगा क्योंकि निर्यातकों को भी इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि वास्तविक आवश्यकता क्या है. अधिक एमआरएल लगाने से प्रोसेसर के लिए आवश्यकताओं की पुष्टि करना आसान हो जाता है," मेनन ने कहा.
भारतीय मसाला निर्यात, जो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रिकॉर्ड 4.46 बिलियन डॉलर को छू गया, लगातार तेजी से ओर बढ़ रहा है, जिसने इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी की अवधि में 7.91 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की है.
वाणिज्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जनवरी 2024-25 के दौरान मसालों के निर्यात का मूल्य पिछले साल की समान अवधि के 3244.47 मिलियन डॉलर की तुलना में 3501.11 मिलियन डॉलर रहा. भारत वैश्विक मसाला व्यापार का एक चौथाई हिस्सा है और मिर्च, हल्दी और जीरा जैसे मसालों का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक रहा है.
भारत 180 से अधिक देशों को 225 से अधिक अनूठे उत्पादों का निर्यात करता है. राज्य संचालित मसाला बोर्ड ने मार्च 2024 को समाप्त होने वाले वर्ष में 4.4 बिलियन डॉलर से 2030 तक निर्यात को दोगुना से अधिक करके लगभग 10 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है. बोर्ड ने खाद्य सुरक्षा और अनुपालन बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ और हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों को निर्यात के लिए अनिवार्य एथिलीन ऑक्साइड परीक्षण सहित कड़े क्वालिटी चेक के उपायों को लागू किया है.
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