
किसान के लिए जमीन सिर्फ खेती करने का आधार नहीं होती, बल्कि उसकी पहचान और हक का सबसे बड़ा दस्तावेज भी होती है. गुजरात और महाराष्ट्र में अगर कोई किसान सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहता है, चाहे वह सिंचाई पर मिलने वाली सब्सिडी हो, फसल बीमा हो, सोलर पंप स्कीम हो या फिर पीएम-किसान जैसी आर्थिक मदद तो उसके लिए सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट है 7/12 जिसे आम भाषा में सात-बारा उतारा कहा जाता है. इस दस्तावेज के बिना इन राज्यों में किसान किसी भी योजना का फायदा नहीं उठा पाएंगे.
7/12 उतारा जमीन की पूरी जानकारी का सरकारी रिकॉर्ड है. इसमें दो अलग-अलग तरह की जानकारियां होती हैं-
इन दोनों को मिलाकर बनने वाला दस्तावेज किसान का पूरा भूमि रिकॉर्ड माना जाता है. यही कारण है कि इसे गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे महत्वपूर्ण भूमि प्रमाणपत्र माना जाता है.
7/12 उतारा जमीन पर किसान के अधिकार का आधिकारिक सबूत है. इसी एक दस्तावेज से तय होता है कि किसान की पहचान क्या है, उसके पास कितनी जमीन है, वह किस फसल की खेती करता है, क्या वह सरकारी योजना के योग्य है. वहीं, इस डॉक्यूमेंट के न होने से किसान कई बड़ी सुविधाओं से वंचित रह जाता है.सरकार के साथ-साथ बैंक और सहकारी समितियां भी 7/12 को सबसे विश्वसनीय खेत दस्तावेज मानती हैं.
7/12 डॉक्यूमेंट यह सर्टिफाइट करता है कि आवेदक असल में किसान है और उसके पास खेती योग्य जमीन है. योजना मंजूर करते समय सरकार को यह जांचना बेहद जरूरी होता है कि लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे. इस डॉक्यूमेंट के बिना किसान नीचे बताए गई योजनाओं का फायदा नहीं उठा सकते हैं-
जमीन के मालिक/सह-मालिक का नाम
जमीन का सर्वे नंबर और गट नंबर
जमीन का क्षेत्रफल
जमीन का प्रकार (जोतने लायक, सिंचित या असिंचित)
कौन सी फसल बोई गई है
क्या जमीन पर कोई बंधक या विवाद है
सिंचाई का स्रोत
किसान का हिस्सा और अधिकार
इसी वजह से यह डॉक्यूमेंट न सिर्फ सरकारी योजना बल्कि कानूनी मामलों में भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
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