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अनार के फ्लावरिंग स्टेज में कौन सा फंगीसाइड और इंसेक्टीसाइड का करें इस्तेमाल?

अनार के फ्लावरिंग स्टेज में कौन सा फंगीसाइड और इंसेक्टीसाइड का करें इस्तेमाल?

जब अनार के पौधों पर फूल आना शुरू हो जाए तो उसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश को 12:61:00 की मात्रा में 8 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से एक दिन के अंतराल पर एक महीने तक देना चाहिए. अगर अनार के पौधे में फूल लगते हैं, लेकिन किसी रोग की वजह से झड़ जाते हैं तो प्लानोफिक्स 4 एमएल दवा 16 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए.

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अनार के बगीचे में लगने वाले रोग अनार के बगीचे में लगने वाले रोग

अनार की खेती सही ढंग से करें तो कमाई की कमी नहीं होगी. कम देखभाल में अनार की खेती से बंपर कमाई की जा सकती है. इसकी खेती की बात करें तो पहले नंबर पर महाराष्ट्र है. उसके बाद राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और गुजरात का नाम आता है. इन राज्यों में अनार के बगीचे खूब देखे जाएंगे. उससे समझा जा सकता है कि किसान अनार की खेती नकदी फसल के तौर पर करते हैं. इसकी मांग सालभर बनी रहती है क्योंकि इसका फसल सेहतमंद होने के साथ औषधीय गुणों से परिपूर्ण बताया जाता है.

वैसे तो अनार को हर तरह की मिट्टी में उगा सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छी मिट्टी रेतीली और दोमट मिट्टी को मानते हैं. हल्की मिट्टी में इसकी खेती की जाए तो अनार के फल बड़े और रंग खिले होते हैं. जिस अनार का रंग अधिक लाल हो उसे खरीदार भी पसंद करते हैं और महंगी कीमतों में खरीदते हैं. इसलिए अनार की खेती के लिए बहुत जरूरी है कि सही जलवायु, सही मिट्टी और खाद-बीज का पूरा ध्यान रखा जाए. अनार में सबसे महत्वपूर्ण होता है उसका फ्लावरिंग स्टेज जिस दौरान पौधे का ध्यान न रखें तो फूल झड़ने लगते हैं. फूल झड़ जाएं तो फलों का भारी नुकसान हो सकता है. इसलिए जान लेते हैं कि फ्लारिंग स्टेज में फूलों को बचाने के लिए किसान को क्या करना है.

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अनार में खाद का इस्तेमाल

जब अनार के पौधों पर फूल आना शुरू हो जाए तो उसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश को 12:61:00 की मात्रा में 8 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से एक दिन के अंतराल पर एक महीने तक देना चाहिए. अगर अनार के पौधे में फूल लगते हैं, लेकिन किसी रोग की वजह से झड़ जाते हैं तो प्लानोफिक्स 4 एमएल दवा 16 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए. इस छिड़काव से फूल झड़ने की समस्या खत्म हो जाएगी.

फूल और फल आने की स्थिति में 1-1.5 ग्राम प्रति लीटर सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करना चाहिए. घुलनशील एनपीके 00:52:34 की मात्रा 8.5 किलो प्रति हेक्टेयर ड्रिप सिंचाई के जरिये 7 दिन के अंतराल पर 3 बार देनी चाहिए. अनार की फसल को फंगस से बचाने के लिए COC50, कॉनकोर, एजोजोल और बोर्डेक्स मिक्सचर इस्तेमाल कर सकते हैं. दो फंगीसाइड का इस्तेमाल पौधे में फूल आने के समय और उसके 15 दिनों के अंतराल पर कर सकते हैं. इस स्थिति में कॉपर से जुड़े फंगीसाइड के अलावा, किसी भी कीटनाशक का इस्तेमाल दो बार से ज्यादा नहीं करना चाहिए.

पत्ते झड़ने लगें तो क्या करें?

अगर अनार में पत्ते झड़ने की समस्या है तो इसका भी समय रहते समाधान करना चाहिए. इसके लिए पौधे में पोषक तत्वों का प्रयोग करना चाहिए. पत्ते झड़ने के 20 दिन बाद से 15 दिन के अंतराल पर पोषक तत्वों का चार स्प्रे करने की सलाह दी जाती है. सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण को किसी भी फंगीसाइड या कीटनाशक के साथ मिलाया जा सकता है और स्प्रे किया जा सकता है. इसमें अधिकांश सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे Zn, B, Fe, Cu, Mn और Mo शामिल हैं. सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण में अधिकांश द्वितीयक पोषक तत्व जैसे Ca, Mg, S और K शामिल हैं. यह मिश्रण फूलों और फलों की क्वालिटी और स्वाद को बढ़ाता है. इस मिश्रण की सिफारिश कर्नाटक और महाराष्ट्र के सभी अनार के किस्मों के लिए की जाती है.

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