महाराष्ट्र के नागपुर के तहत आने वाले कामठी तहसील के कुछ गांवों में कपास की खेती करने वाले किसान इन दिनों खासे परेशान हैं. ये किसान कपास की फसलों पर गुलाबी बोंड इल्ली या पिंक बॉलवर्म के प्रकोप की वजह से चिंता में हैं. कामठी के मौजा वरंभा, मांगली, वडोदा गांव में कपास की फसल पर गुलाबी बोंड इल्ली के प्रकोप की खबर आने के बाद विशेषज्ञों ने इनका निरीक्षण किया. इन निरीक्षणों के बाद उन्होंने किसानों को ऐसे उपायों के बारे में बताया है, जिसके बाद वह बोंड इल्ली के हमले से छुटकारा पा सकते हैं.
कृषि विशेषज्ञों की टीम ने प्रभावित इलाकों के दौरे के बाद किसानों को बताया कि कीटनाशकों का सही मात्रा में छिड़काव करके बोंड इल्ली के प्रकोप से छुटकारा पाया जा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार ट्रायएजोफॉस 40 इसी, 30 मिली या डेल्टामेथ्रीन 2.8 का 10 मिली घोल, 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़का जाना चाहिए. विशेषज्ञों की मानें तो अगर बोंड इल्ली का प्रकोप 90 फीसदी से ज्यादा है तो ऐसे में ट्रायएजोफॉस 35 ईसी प्लस डेल्टामेथ्रीन 18 मिली या क्लोरेट्रेनीलिप्रोल 9.3 फीसदी प्लस लॅब्डासहॉलोथ्रीन पांच मिली या इंडक्जिकार्ब प्लस एसीटामाप्रिड 10 मिली या क्लोरोपाइरीफॉस प्लस सायपरमेथ्रीन 20 मिली का घोल 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए.
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विशेषज्ञों के अनुसार इस छिड़काव के समय किसानों को पूरी सतर्कता बरतनी जरूरी है. भारत में पिछले दो सालों से कपास के किसान फसल पर अचानक पिंक बॉलवर्म यानी गुलाबी सुंडी के हमले से काफी परेशान हैं. इसके प्रकोप से किसानों को भारी मात्रा में नुकसान सहना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो कृषि विभाग की तरफ से इस तरफ ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसकी वजह से कपास उत्पादक किसानों की चिंताओं में दिन पर दिन इजाफा होता जा रहा है.
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पिंक बॉलवर्म के प्रकोप में कपास की फसल (बोंड) ठीक ऊपर सुंडी नजर आती है. बीज के अंदर बड़ी-बड़ी इल्लियां दाखिल हो जाती हैं और फसल को खोखला कर देती है. जब फसल में फूल आने वाले होते हैं तो यह इल्ली उन्हें अपना शिकार बनाती है. फूल के बाद इसका ठिकाना फसल (बोंड) होता है. जैसे ही यह बीज में दाखिल होती है प्रवेश करती है, उसे खत्म करना शुरू कर देती है. विशेषज्ञों की मानें तो इसे मारना बहुत मुश्किल है. वहीं किसानों का कहना है कि कीटनाशक का छिड़काव करने पर भी इस प्रकोप पर कोई असर नहीं होता है.
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