सरकार किसानों की खाद की समस्या को दूर करने के लिए लगातार काम कर रही है. इस क्रम में रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम करने के लिए नैनो खाद बनाने और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारिता संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. अब इफको ने नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी के बाद नैनो-एनपीके भी तैयार किया है. इसे बनाने के लिए नैनो तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
नैनो-एनपीके लिक्विड न होकर दानेदार रूप में बनाया गया है. अब इस उत्पाद को सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार है. उम्मीद है कि अगले खरीफ सीजन में इसकी कमर्शियल लॉन्चिंग हो जाएगी. इफको के प्रबंध निदेशक और सीईओ यू एस अवस्थी ने बताया कि शुरू में नैनो-एनपीके का उत्पादन इफको के कांडला प्लांट में होगा.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यू एस अवस्थी ने बताया कि नैनो-एनपीके 5 किलोग्राम के बैग में आएगा, जिसकी कीमत 950 रुपये रखी गई है. नैनो-एनपीके में नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटाश (के) का अनुपात 20:10:10 रखा गया है.
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अवस्थी ने बताया कि 1 बैग (5 किलोग्राम) के नैनो-एनपीके के उपयोग से किसानों को यूरिया के दो बैग (कुल 90 किलोग्राम) और डीएपी के एक बैग (50 किलोग्राम) की बचत होगी.
अभी किसानों को 45 किलोग्राम का यूरिया बैग 267 रुपये में मिलता है. वहीं, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के 50 किलोग्राम के एक बैग के लिए 1,350 रुपये चुकाने पड़ते हैं. वहीं, 1550 रुपये में एमओपी का एक बैग खरीदना पड़ता है.
इफको के सीईओ ने कहा कि नैनो-एनपीके का उपयोग करने के बाद किसानों को रासायनिक खाद के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे मिट्टी की सेहत पर अच्छा असर होगा और उत्पादन की लागत घटने के साथ उपज भी बढ़ेगी. यू एस अवस्थी ने कहा कि एक बार नैनो-एनपीके के इस्तेमाल से पोषक तत्व पौधे की जड़ तक पहुंच जाएंगे.
इफको के सीईओ ने कहा कि परीक्षण के दौरान नैनो-एनपीके से बहुत ही अच्छे परिणाम हासिल हुए है. रिपोर्ट के मुताबिक, नैनो-एनपीके के अप्रूवल के लिए इस हफ्ते ही सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है, जिसमें थोड़ा समय लगने की संभावना है.
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