जैव उर्वरक या जीवाणु उर्वरक जीवित सूक्ष्म जीवों के समूह से बना एक प्रकार का खाद होता है. इसमें मौजूद सूक्ष्म जीव वातावरण से नाइट्रोजन को सोंखते हैं और पौधों को उपलब्ध कराते हैं और मिट्टी में मौजूद फास्फोरस को पानी में घुलने में मदद कर पौधों तह पहुंचाते हैं. इससे पौधों का विकास होता है और साथ ही उपज भी अच्छी होती है. यह उपज के साथ-साथ क्वालिटी को भी बढ़ाता है.
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बीज उपचार विधि: इस विधि में सबसे पहले आधा लीटर पानी में 50-100 ग्राम चीनी या गुड़ का घोल बना लें. अब इस घोल में 200 ग्राम जैव उर्वरक अच्छी तरह मिला लें. फिर इस मिश्रण को धीरे-धीरे 10-15 किलोग्राम बीजों के ढेर पर डालें और हाथों से मिला लें ताकि जैव उर्वरक बीजों पर अच्छी तरह और समान रूप से चिपक जाए. अब उपचारित बीजों को छाया में सुखाने के बाद तुरंत बुवाई कर दें.
जड़ उपचार विधि: रोपाई की गई फसलों में जड़ उपचार के माध्यम से जैविक खाद का उपयोग किया जाता है. इसमें पहले की तरह 20-25 लीटर पानी में 4 किलोग्राम जैव उर्वरक का घोल बना लें. एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त पौधों की जड़ों को 25-30 मिनट तक उपरोक्त घोल में डुबोया जाता है. उपचारित पौधों को छाया में रखा जाता है और जल्द से जल्द रोपाई की जाती है.
मृदा उपचार: इस विधि में एक हेक्टेयर भूमि के लिए 200 ग्राम जैविक खाद के 25 पैकेट की आवश्यकता होती है. मृदा उपचार के लिए 5 किलोग्राम जैविक खाद को 50 किलोग्राम मिट्टी या कंपोस्ट में अच्छी तरह मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. इस मिश्रण को बुवाई के समय या बुवाई से 24 घंटे पहले एक हेक्टेयर क्षेत्र में समान रूप से फैला दिया जाता है. इसे बुवाई के समय सीधे गड्ढों में भी डाला जा सकता है.
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