UP Agriculture News: जिप्सम पर किसानों को मिलती है 75 फीसदी तक की सब्सिडी! जानें इसके फायदे   

UP Agriculture News: जिप्सम पर किसानों को मिलती है 75 फीसदी तक की सब्सिडी! जानें इसके फायदे   

यूपी कृषि विभाग की तरफ से सभी ब्लॉकों में स्थित सरकारी बीज केंद्रों पर जिप्सम (Subsidy on Jipsum) उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को लागत का सिर्फ 25 फीसदी देना होगा जबकि बाकी 75 फीसदी राशि सरकार की तरफ से अदा की जाएगी. एक किसान ज्‍यादा से ज्‍यादा 2 हेक्टेयर भूमि के लिए 6 क्विंटल यानी 12 बोरी जिप्सम हासिल कर सकता है.

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जिप्सम पर किसानों को मिलती है 75 फीसदी तक की सब्सिडी! जानें फायदे   Subsidy on Jipsum: जिप्‍सम मिट्टी के पीएच स्तर को संतुलित करता है

Subsidy on Jipsum: खेती-किसानी में जिप्सम का इस्तेमाल किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. खासकर दलहनी और तिलहनी फसलों के साथ-साथ जड़ वाली फसलों के लिए यह एक असरकार उपाय माना जा रहा है. इसे देखते हुए अब उत्‍तर प्रदेश के कृषि विभाग ने एक खास योजना शुरू की है. यूपी सरकार की तरफ से किसानों की उत्पादन क्षमता और आय में इजाफा करने के उद्देश्य से जिप्सम पर 75 फीसदी तक सब्सिडी देने की योजना की शुरुआत की है. माना जा रहा है कि इससे किसान कम खर्च में अच्छी उपज हासिल कर सकेंगे. 

कहां से खरीद सकते हैं जिप्‍सम 

यूपी कृषि विभाग की तरफ से सभी ब्लॉकों में स्थित सरकारी बीज केंद्रों पर जिप्सम उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को लागत का सिर्फ 25 फीसदी देना होगा जबकि बाकी 75 फीसदी राशि सरकार की तरफ से अदा की जाएगी. एक किसान ज्‍यादा से ज्‍यादा 2 हेक्टेयर भूमि के लिए 6 क्विंटल यानी 12 बोरी जिप्सम हासिल कर सकता है. एक बोरी की कीमत 216.10 रुपये तय की गई है जिस पर सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलेगी. 

किसान राज्य के कृषि विभाग के 'दर्शन पोर्टल' के माध्यम से रजिस्‍ट्रेशन कराकर सरकारी बीज भंडारों से जिप्सम प्राप्त कर सकते हैं. इस योजना के तहत करीब 15,000 से 20,000 मीट्रिक टन जिप्सम किसानों को दिया गया है. यूपी के अलावा राजस्‍थान, हरियाणा, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्‍यों में भी इस तरह की योजना चलाई जा रही है. 

खेती के लिए क्‍यों जरूरी है जिप्‍सम 

जिप्सम मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभाता है. यह न सिर्फ मिट्टी के पीएच स्तर को संतुलित करता है बल्कि उसकी पानी रोकने की क्षमता को भी बढ़ाता है. इसमें मौजूद कैल्शियम और सल्फर जैसे पोषक तत्व फसलों के बेहतर विकास में मदद करते हैं. ऐसे में इसका नियमित उपयोग खेत की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ फसल की सेहत को भी सुधारता है. इस पहल से किसानों को खेती की लागत घटाने और लाभ बढ़ाने में मदद मिलेगी, साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बेहतर होगी.

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