
भारतीय बासमती चावल की पूरी दुनिया में बढ़ती डिमांड को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार बासमती चावल के निर्यात पर जोर दे रही है बासमती चावल के निर्यात से चावल उत्पादकों को न केवल फसल का लाभकारी मूल्य मिलेगा, बल्कि देश को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है ये बाते उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने अलीगढ़ चंदौस विकास प्रमंडल के गांव एलमपुर में आयोजित किसान संगोष्ठी में व्यक्त किया .इइस संगोष्ठी का मुख्य फोकस उत्तर प्रदेश में बासमती धान की निर्यात योग्य उपज बढ़ाने पर था. .मनोज कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बासमती चावल का उत्पादन बहुत बड़े क्षेत्र में होता है, मगर उत्पादन के अनुपात में हमारे राज्य का निर्यात कम होता है. इसका कारण रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का अधिक उपयोग और अमानक प्रसंस्करण है, जिसको सुधारने की जरूरत है..
कृषि उत्पादन आयुक्त ने उत्तर प्रदेश सरकार इन कमियों को दूर करने और किसानों को उचित लाभ दिलवाने और बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है , सिंह ने कहा कि राज्य के 30 जिलों को बासमती चावल के लिए जीआई टैग मिल गया है, लेकिन हमारे किसान उत्पादन के सापेक्ष निर्यात का लाभ लेने में पिछड़ रहे हैं. उन्होंने किसानों से निर्यात योग्य बासमती धान उगाने, खेती की लागत कम करने की अपील की उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि बासमती के जीआई और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए खरीफ मौसम धान बासमती धान की खेती करे किसान
अलीगढ़ के मंडलायुक्त नवदीप रिनवा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और उनकी आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारे किसान भाइयों को पर्यावरण और जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मानकों के अनुरूप फसल उगाकर अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहिए. अलीगढ़ केजिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को बताया गया कि बासमती धान की खेती लंबे समय से हो रही है. हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता, विश्व में बासमती चावल की मांग और निर्यात को ध्यान में रखते हुए इसकी वैज्ञानिक खेती बहुत महत्वपूर्ण हो गई है ..
आईएआरआई पूसा के निदेशक डॉ. एके सिंह ने संगोष्ठी को अच्छी कृषि पद्धति कार्यशाला का नाम देते हुए कहा कि अगर हम कीटनाशकों का गलत मात्रा में, गलत समय पर और गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं तो इसके दुष्प्रभाव अवश्यम्भावी हैं उन्होंने किसानों को खुशखबरी देते हुए कहा कि उन्हें शीघ्र ही बासमती की रोग प्रतिरोधी किस्म प्राप्त होगी . जिससे किसानो को कम केमिकल दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ेगा .
एपीडा द्वारा संचालित बासमती निर्यात और विकास फाउडेशन (BDEF )मोदीपुरम मेऱठ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने कहा कि पूसा बासमती-1 का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है हमारा उत्पादन ग्राहक की मांग के अनुसार होना चाहिएसम्मेलन में निर्यात योग्य बासमती के अंतरराष्ट्रीय मानकों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई विशेषज्ञों ने कहा कि बासमती धान की अच्छी उपज और गुणवत्ता लाने के लिए अच्छी किस्म का चयन बहुत जरूरी है संगोष्ठी में बासमती धान के लगभग 15 प्रकार के बीज शोधन, बीज उपचार, पौध तैयार करने, पौध तैयार करने, सिंचाई प्रबंधन, रासायनिक एवं जैविक खाद के प्रयोग, गुणवत्ता युक्त, उत्पादन के बारे में जानकारी दी गई डॉ रितेश शर्मा ने कहा कि BEDF मेरठ किसानों को विषय विशेषज्ञों द्वारा खाद, पानी, कीटनाशक व अन्य गतिविधियों के लिए उचित सलाह भी दी जाती है .
इस मौके पर अलीगढ़ की सीडीओ आकांक्षा राणा, एडीएम प्रशासन पंकज कुमार एसडीएम के0बी सिंह, सीओ सुमन कनौजिया, दिनेश कुमार चौधरी, प्रमोद ताउमर, जय कुमार गुप्ता, उप निदेशक उद्यान डॉ. मुकेश कुमार, उप निदेशक कृषि यशराज सिंह, जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह, डीएचओ डॉ. धीरेंद्र सिंह, डीपीआरओ धनंजय जायसवाल सहित अधिकारी व बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे
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